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कर्म की गति बड़ी गहन है| Karma ka Siddhant – In Hindi

कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं बोद्धव्यं च विकर्मणः । अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥ ‘कर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए और अकर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए तथा विकर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए, क्योंकि कर्म

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satyamev jayate

“सत्यमेव जयते” – भगवान गौतम बुद्ध [Gautam Buddha Ke Jeevan se]

एक बार महात्मा बुद्ध यात्रा करते हुए कौशाम्बी पहुँचे । वहाँ के कुछ लोग महात्मा बुद्ध से द्वेष रखने लगे थे और उनकी निन्दा किया करते थे । उन धूर्तजनों ने मिलकर महात्मा बुद्ध का

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pandit hardayal

पंडित हरदयाल जी का जीवन कैसे कृतार्थ हुआ – Pandit Hardayal Ji ?

भर्तृहरि महाराज को जब परमात्मा का साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने कलम उठायी और 100 श्लोकों वाला एक शतक लिखा-“वैराग्य शतक”। उसका अनुवाद किया पंडित हरदयाल जी ने। पंडित हरदयाल संस्कृत शास्त्रों का इतना बढ़िया काव्यात्मक

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paramhansa yogananda

Paramahansa Yogananda Teaching on Laziness [आलस्य शत्रु हैं]

महाभारत (शांति पर्व :२७.३१) में आता है :‘आलस्य सुखरूप प्रतीत होता है पर उसका अंत दुःख है तथा कार्यदक्षता दुःखरूप प्रतीत होती है पर उससे सुख का उदय होता है । इसके आलावा ऐश्वर्य, लक्ष्मी,

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guru vachan

गुरुवचन माने ‘एक व्रत, एक नियम..’- Guru Ka Vachan Aagya Maane

ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माँ महंगीबा जी का महानिर्वाण दिवस : 1 नवंबर  पूजनीया मातुश्री माँ महँगीबा जी ( अम्मा ) गुरुभक्ति व गुरुनिष्ठा के महान इतिहास की एक प्रेरणादायी स्वर्णिम अध्याय हैं। पूज्य बापूजी में

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richard whittington mayor of london story

गरीब लड़का बना लंदन का मेयर [Whittington Became Mayor of London

स्कूल से भागा हुआ वेलिंग्टन नाम का एक किशोर लंडन की गलियों से गुजरता हुआ एक सरकारी उद्यान में जा पहुँचा। इतने में ऊँचे टावर की घंटी बजीः ‘टन…टन…टन…!’ वह किशोर टावर के उस नाद

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moral based story gautama buddha

असली सम्राट कौन ? | Who Is The Real King ? – Mahatma Buddha Story

~पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी महात्मा बुद्ध (Mahatma Buddha)  यात्रा करते-करते एक नगर में पहुँचे। वहाँ के राजा को उसके बूढ़े वजीर ने कहा :”महात्मा बुद्ध (Mahatma Buddha) आ रहे हैं। आप उनके स्वागत को चलें।

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Shiksha (शिक्षा) Ke Sath Diksha (दीक्षा) Bhi Jaruri Hai

➠ जितना जितना आध्यात्मिक बल बढ़ता है, उतनी-उतनी भौतिक वस्तुएँ खिंचकर आती हैं और प्रकृति अनुकूल हो जाती है।  -पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी  ➠ एक होती है ‘शिक्षा’ (Shiksha), दूसरी होती है ‘दीक्षा’ (Diksha)।

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honhar birwan ke hot chikne paat

होनहार बिरवान के होत चिकने पात -Honhar birwan ke hot chikne paat

आर्तत्राण नाम का विद्यार्थी संस्कृत पढ़ने के लिए पंडित जी के पास जाता था । पंडित जी को पूजा के लिए बेलपत्र, तुलसीदल, फूल आदि की आवश्यकता पड़ती थी तो विद्यार्थी आसपास से ले आते

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