GanpatiJi Ka Swaroop Deta Hai Anokhi Prerna: Ganesh Chaturthi 2021
➠ जो इन्द्रिय-गणों का, मन-बुद्धि गणों का स्वामी है, उस अंतर्यामी विभु का ही वाचक है ‘गणेश’ शब्द । ‘गणानां पतिः इति गणपतिः ।’ ➠ उस निराकार परब्रह्म को समझाने के लिए ऋषियों ने और
➠ जो इन्द्रिय-गणों का, मन-बुद्धि गणों का स्वामी है, उस अंतर्यामी विभु का ही वाचक है ‘गणेश’ शब्द । ‘गणानां पतिः इति गणपतिः ।’ ➠ उस निराकार परब्रह्म को समझाने के लिए ऋषियों ने और
Why Moon is Inauspicious On Ganesh Chaturthi 2021 Story in Hindi. Kalank Chaturthi, Ganesh Chauth Chandra Darshan Nhi Karna (Chand Ko Nahi Dekhna): ➠ गणेश चतुर्थी को ‘कलंकी चौथ’ भी कहते हैं। इस चतुर्थी का
तब क्या हुआ जब अंग्रेज न्यायाधीश ने वहाँ की मुख्य सड़क पर तिरंगा झण्डा लेकर चलने पर पाबंदी लगा दी…!!!! कुछ विद्यार्थी पढ़ने के लिए अपने गाँव से दूसरे गाँव पैदल जा रहे थे ।
बात उस समय की है जब हिंदुओं पर मुगलों का अत्याचार अपनी चरम सीमा पर था और हिन्दू अपने को दीन व लाचार मानकर सब सह रहे थे। औरंगजेब का खौफ महाराष्ट्र के गाँवों में
जब तिलक जी ने बिना हिले-डुले, व्यथित हुए शांतिपूर्वक ऑपरेशन करा लिया… श्रीमद् भगवद्गीता की महिमा अपरम्पार है । आपको गीताजी की महिमा के बारे में लोकमान्य तिलक जी (Lokmanya Tilak ji) के जीवन का
आज हम जानेंगे एक सत्संगी व्यक्ति के सम्पर्क में आनेवालों का जीवन भी किस प्रकार मानवीयता, सहयोग और सुहृदयता की बगिया से महक जाता है। एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर
बालक सुधरे तो जग सुधरा । बालक-बालिकाएँ घर, समाज व देश की धरोहर हैं । इसलिए बचपन से ही उनके जीवन पर विशेष ध्यान देना चाहिए । यदि बचपन से ही उनके रहन-सहन, खान-पान, बोल-चाल,
एक बार ईरान के बादशाह नशीखान ने संजीवनी बूटी के बारे में सुना। उसने अपने प्रिय हकीम बरजुए से पूछा: ”क्या तुमने भी कभी संजीवनी बूटी का नाम सुना है?” “जी, बादशाह सलामत यह हिन्दुस्तान
सन् 1915 में सुभाष ने कलकत्ता प्रेसीडेन्सी कॉलेज में बी.ए.की शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रवेश लिया। वहाँ भारतीय विद्यार्थियों के प्रति अंग्रेज प्राध्यापकों का व्यवहार अच्छा न था।
किसी भी छोटे से कारण पर वे छात्रों को बड़ी भद्दी-भद्दी गालियाँ सुना दिया करते थे। एक बार सुभाष की कक्षा के कुछ छात्र अध्ययन-कक्ष के बाहर बरामदे में खड़े थे। प्रोफेसर ई.एफ. ओटेन उधर से गुजरे और बरामदे में खड़े छात्रों पर बरस पड़े- “जंगली, काले, बदतमीज इंडियन….!”
हे विद्यार्थी ! जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफल होना चाहते हो तो कोई-न-कोई अच्छा व्रत ले लो तथा उसका दृढ़तापूर्वक पालन करो। जिस प्रकार गांधी जी ने बाल्यावस्था में राजा हरिशचन्द्र का नाटक देखकर