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behra admi satsang sunne kyun aata tha

बहरा आदमी सत्संग सुनने क्यों आता था ?

एक संत के पास बहरा आदमी सत्संग सुनने आता था। उसे कान तो थे पर वे नाड़ियों से जुड़े नहीं थे। एकदम बहरा, एक शब्द भी सुन नहीं सकता था। किसी ने संतश्री से कहाः
“बाबा जी ! वे जो वृद्ध बैठे हैं, वे कथा सुनते-सुनते हँसते तो हैं पर वे बहरे हैं।”

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ghar ghar mein bahe prem ki ganga

घर-घर में बहे प्रेम की गंगा

रामनारायण धर्मनिष्ठ व सच्चरित्रवान वर खोजने लगे। इसी बात को लेकर दोनों भाइयों में मनमुटाव हो गया। जयनारायण ने घर छोड़ दिया और अपनी पत्नी को लेकर दूसरे मोहल्ले में रहने लगे। रामनारायण ने प्रेमा का विवाह एक सच्चरित्र युवक के साथ कर दिया।
समय बीता। एक दिन प्रेमा ससुराल से अपने बड़े भाई के घर आयी हुई थी। एक शाम को वह झूला झूल रही थी कि जयनारायण किसी कार्यवश उधर से गुजरे। प्रेमा की जयनारायण की तरफ पीठ थी इसलिए वह भाई को देख नहीं पायी परंतु उन्होंने बहन को देख लिया। वकील बाबू ने सुना कि प्रेमा गा रही हैः

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Madan Mohan Malaviya – फिजूल में 1 पैसा नहीं, सत्कार्य में लाखों

मालवीयजी के एक मित्र उन्हें धन के सहयोग की अपेक्षा से एक बड़े व्यापारी के घर ले गये। आवाज देने पर सेठजी ने बैठक का द्वार खोला और दोनों अतिथियों को आदर से बिठाया। उस वक्त शाम हो गयी थी और अँधेरा छाने लगा था। बैठक में बिजली नहीं थी, अतः सेठजी ने अपने छोटे पुत्र को लालटेन जलाने को कहा।

पुत्र लालटेन और दियासिलाई लेकर आया। उसने माचिस की एक तीली जलायी परंतु वह लालटेन तक आते-आते बुझ गयी। फिर दूसरी जलायी, वह भी बीच में ही बुझ गयी। जब तीसरी तीली का भी वही हाल हुआ, तब सेठजी लड़के पर नाराज होकर बोलेः “तुमने माचिस की तीन तीलियाँ नष्ट कर दीं। कितने लापरवाह हो !”

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एक लोहार जिसका हाथ अग्नि जला नहीं सकी

एक मुसाफिर ने रोम देश में एक मुसलमान लुहार को देखा। वह लोहे को तपाकर लाल करके उसे हाथ में पकड़कर वस्तुएँ बना रहा था, फिर भी उसका हाथ जल नहीं रहा था। यह देखकर मुसाफिर ने पूछाः “भैया ! यह कैसा चमत्कार है कि तुम्हारा हाथ नहीं जल रहा।”

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बिना मृत्यु के पुनर्जन्म – Inspirational Story in Hindi

राजा ने चोर से पूछाः “इस महल में तुम्हीं ने चोरी की है न ? सच-सच बताओ, तुमने चुराया धन कहाँ रखा है ?”
चोर ने दृढ़ता पूर्वक कहाः “महाराज ! इस जन्म में मैंने कोई चोरी नहीं की।”
सिपाही बोलाः “महाराज ! यह झूठ बोलता है। हम इसके पदचिह्नों को पहचानते हैं। इसके पदचिह्न चोर के पदचिह्नों से मिलते हैं, इससे साफ सिद्ध होता है कि चोरी इसी ने की है।”

राजा ने चोर की परीक्षा लेने की आज्ञा दी, जिससे पता चले कि वह झूठा है या सच्चा।

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आनंद की अटूट श्रद्धा ! (Unabated Faith of Samarth Ramdas’s disciple)

समर्थ रामदास का आनंद नाम का एक शिष्य था। वे उसको बहुत प्यार करते थे। यह देखकर अन्य शिष्यों को ईर्ष्या होने लगी। वे सोचतेः “हम भी शिष्य हैं, हम भी गुरुदेव की सेवा करते हैं फिर भी गुरुदेव हमसे ज्यादा आनन्द को प्यार करते हैं।”

ईर्ष्यालु शिष्यों को सीख देने के लिए एक बार समर्थ रामदास ने एक युक्ति की।

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आत्म साक्षात्कार किसी भी युवक को हो सकता है – AtmaSakshatkar

एक लड़के के पिता मर गये थे। वह लड़का करीब 18-19 साल का होगा। उसका नाम था प्रताप। एक बार भोजन करते समय उसने अपनी भाभी से कहाः “भाभी ! जरा नमक दे दे।”
भाभीः “अरे, क्या कभी नमक माँगता है तो कभी सब्जी माँगता है ! इतना बड़ा बैल जैसा हुआ, कमाता तो है नहीं। जाओ, जरा कमाओ, फिर नमक माँगना।”

लड़के के दिल को चोट लग गयी। उसने कहाः “अच्छा भाभी ! कमाऊँगा तभी नमक माँगूगा।”

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अभ्यास की शक्ति | Importance & Power of Practice

किन्हीं संत ने एक ऐसा आदमी देखा जो अपने कंधों पर विशालकाय भैंसों को उठा लेता था।
संत ने पूछा :”कहाँ तू पाँच-साढ़े पाँच फुट का हलका-फुलका आदमी और कहाँ यह विशालकाय भैंसा ! फिर भी तू अपने कंधे पर इसे ऐसे कैसे उठा लेता है ?”

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एक दहेज ऐसा भी

एक बार मालवीय जी के पास एक धनी सेठ अपनी कन्या के विवाह का निमन्त्रण-पत्र देने आये। संयोग से जिस युवक के साथ उनकी कन्या का विवाह होने वाला था, वह मालवीय जी का शिष्य था।

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