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Anandamayi Ma

Anandamayi Ma Teachings For Kids: Kyu Jaruri Hai Dharmik Vidhya

Anandamayi Ma Teachings for kids बच्चों को बचपन से ही धर्म-शिक्षा देनी चाहिए…। तुम लोग बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिए कितना प्रयत्न करते हो ताकि बड़े होकर वे उपार्जनशील हो सकें लेकिन उन्हें धार्मिक शिक्षा

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Shiksha (शिक्षा) Ke Sath Diksha (दीक्षा) Bhi Jaruri Hai

➠ जितना जितना आध्यात्मिक बल बढ़ता है, उतनी-उतनी भौतिक वस्तुएँ खिंचकर आती हैं और प्रकृति अनुकूल हो जाती है।  -पूज्य संत श्री आशारामजी बापूजी  ➠ एक होती है ‘शिक्षा’ (Shiksha), दूसरी होती है ‘दीक्षा’ (Diksha)।

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Guru Gobind Singh ji

गुरु गोविन्द सिंह जी की निर्मोहिता | Short Story of Guru Gobind Singh Ji in Hindi

~पूज्य संत श्री आशारामजी बापू गोविंद सिंह जी (Guru Gobind Singh Ji) बाल्यावस्था से ही मोह-माया में लिप्त नहीं होते थे। एक बार उनकी माता गुजरी देवी ने उनके हाथों में सोने के बहुमूल्य कंगन

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Swami Lilashah Ji

जहाँ भी रहे…. अपनी महिमा में मस्त | A Short Life Story on Swami Lilashah Ji

जिसने अपने में ही आत्मतृप्ति का अनुभव कर लिया हो उसे कभी कोई हानि नहीं पहुँचा सकता। वे जहाँ भी रहते हैं वहाँ अपनी महिमा में ही मस्त रहते हैं। एक बार पूज्य बापूजी (साईं

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importance of indian clothing

भारतीय वेशभूषा की महत्ता -Traditional Indian Clothing Importance

✸ “शुद्ध, सादे सूती वस्त्र स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे हैं और आर्थिक ढंग से भी ठीक हैं । कपड़े पहनो अंगों की रक्षा करने के लिए, अंगों को बीमार करने के लिए नहीं ।

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Mahabharata Story

जाको राखे साँइयाँ…. Moral Story of Ancient Time – Mahabharata Story in Hindi

परमात्मा में आस्था व विश्वास दृढ़ करने वाली यह कहानी बच्चों (Story for Kids) को सुनायें और दोहा याद करवायें।  ऋषि शमीक अपने शिष्यों के साथ कुरुक्षेत्र में महाभारत (Mahabharata) के संग्राम के बाद का

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honhar birwan ke hot chikne paat

होनहार बिरवान के होत चिकने पात -Honhar birwan ke hot chikne paat

आर्तत्राण नाम का विद्यार्थी संस्कृत पढ़ने के लिए पंडित जी के पास जाता था । पंडित जी को पूजा के लिए बेलपत्र, तुलसीदल, फूल आदि की आवश्यकता पड़ती थी तो विद्यार्थी आसपास से ले आते

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interest in practice

अभ्यास में रूचि क्यों नहीं होती ? Why There is no Interest in Practice? – in Hindi

15 जनवरी 1958, कानपुर।(साईं श्री लीलाशाहजी महाराज की अमृतवाणी) गुरु-सन्देश – “सत्पुरुष अपने साधना-काल में प्रभुनाम-स्मरण के अभ्यास की आवश्यकता का अनुभव करके उसके रंग में रंगे रहते हैं।” सत्संग-प्रसंग पर एक जिज्ञासु ने पूज्य

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bal gangadhar tilak information

लोकहित से बढ़कर कुछ नहीं | Short Story of Lokmanya Bal Gangadhar Tilak

वकालत की परीक्षा पास करने के बाद तिलक जी कोई उच्च सरकारी नौकरी करने के बजाय एक विद्यालय में शिक्षक के पद पर रहना पसंद किया ।सम्बन्धियों और मित्रों को यह बात अच्छी न लगी

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गुरुभक्त रसिकमुरारी जी | Gurubhakt Rasik Murari Ji – Shri Bhaktmal Katha

रसिकमुरारी (Rasik Murari Ji) नाम के एक महात्मा हो गये। वे बड़े संतसेवी और गुरुभक्त थे।अपने गुरुदेव के प्रति रसिक जी की कैसी निष्ठा व भक्तिभाव था, इससे जुड़ा उनके जीवन का मधुर प्रसंग उल्लेखनीय

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