Kubja and Krishna Story in Hindi [Shri Krishna Kubja Ki Kahani] :
➠ श्रीकृष्ण मथुरा जा रहे हैं तो सड़कों पर लोग दायें-बायें खड़े हैं और उनके रूप-लावण्य, माधुर्य, उनकी चितवन का आनंद ले रहे हैं। लोग तो कृष्ण को देखकर गदगद हो रहे हैं पर कृष्ण एक कुबड़ी स्त्री पर टिकटिकी लगाये हुए हैं। उसका नाम है ‘कुब्जा’, वह कंस के पास अंगराग लेकर जा रही है। कृष्ण बोलते हैं- “ओ सुन्दरी !”
➠ उस कुरुपा में भी सौंदर्य देखने वाला कैसा है तुम्हारा अकालपुरुष ब्रह्म ! कुब्जा ने सोचा कि ‘किसी सुंदरी को बुलाते होंगे, मैं तो कुब्जा हूँ।’ अनसुना करके खबुर-खबुर जूतियाँ घसीटती हुई धूल उड़ाती जा रही है। श्रीकृष्ण ने फिर से आवाज लगायीः “ओ सुन्दरी !” उसने देखा कि यहाँ तो छोरे-छोरे हैं, कोई छोरी तो है नहीं !” वह आगे बढ़ी। श्रीकृष्ण ने फिर से प्रेम में भरकर कहाः “ओ सुन्दरी !” अब उसका छुपा हुआ प्रेमस्वभाव छलका, उसने कहाः “बोलो सुन्दर !”
➠ कृष्ण बोलेः “यह अंगराग मुझे दोगी ?”
बोलीः “हाँ ! लो, लगा लो, लगा लो।”
➠ बात बन गयी। कुछ न कुछ दिये बिना जीव कैसे मुझे पायेगा ! अंगराग माँग लिया। विश्व को देने वाले वे दाता अंगराग लगाने वाली एक साधारण कुब्जा-कुरुपा, कुबड़ी को बोलते हैं- “ए सुंदरी !” और वह कृष्ण को बोलती हैः “बोलो सुन्दर !” काम बन गया !
➠ भगवान श्री कृष्ण ने अंगराग लिया और उसके पैर पर पैर रखके ठोड़ी को यूँ झटका मारा तो सचमुच वह कुबड़ी सुंदरी हो गयी। कृष्ण कन्हैया लाल की जय !
~ श्री कृष्ण दर्शन साहित्य