Tulsi Ji Ko Jal dene ki Vidhi Mantra
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धनी ।
आधि-व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते ।।
पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा 2014 में शुरू किये गये तुलसी पूजन दिवस ने व्यापक रूप ले लिया है। पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव से लोग तुलसी की महिमा भूलते जा रहे थे । पूज्यश्री की इस पहल से लोगों में जागृति आयी है और लोग पुनः अपने घरों में तुलसी-पौधा लगा के तथा पूजन कर लौकिक अलौकिक व आध्यात्मिक लाभ लेने लगे हैं । जो अभी तक इसका लाभ नहीं ले पाये वे भी इस बार से 25 दिसम्बर को अवश्य तुलसी-पूजन कर जीवन को उन्नत व खुशहाल बनायें ।
या दृष्टा निखिलाघसंघशमनी स्पृष्टा वपुष्पावनी ।
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्तान्तकत्रासिनी ।।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता ।
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः ।।
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धनी ।
आधि-व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते ।।
जिस घर में तुलसी-पौधा विराजित हो, लगाया गया हो, पूजित हो, उस घर में यमदूत कभी भी नहीं आ सकते।’
यदि तुलसी-दल को तोड़ें तो उसकी मंजरी और पास के पत्ते तोड़ने चाहिए जिससे पौधे की बढ़ोतरी अधिक हो । मंजरी तोड़ने से पौधा खूब बढ़ता है ।
यदि पत्तों में छेद दिखाई देने लगे तो गौ-गोबर के कंडों की राख कीटनाशक के रूप में प्रयोग करनी चाहिए ।
कैसा भी पापी, अपराधी व्यक्ति हो, तुलसी की सूखी लकड़ियाँ उसके शव के ऊपर, पेट पर, मुँह पर थोड़ी सी बिछा दें और तुलसी की लकड़ी से अग्नि शुरु करें तो उसकी दुर्गति से रक्षा होती है । यमदूत उसे नहीं ले जा सकते ।
📚तुलसी रहस्य
■ ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने तथा पूजा के स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती है।
■अपने घर से दक्षिण की ओर तुलसी-वृक्ष का रोपण नहीं करना चाहिए, अन्यथा यम-यातना भोगनी पड़ती है। (भविष्य पुराण)
■ जिस घर में तुलसी का पौधा हो उस घर में दरिद्रता नहीं रहती। जहाँ तुलसी विराजमान होती हैं, वहाँ दुःख, भय और रोग नहीं ठहरते। (पद्म पुराण, उत्तर खण्ड)
तुलसी के विभिन्न नामः वनस्पतिशास्त्र की भाषा में इसे ‘ओसिमम सेन्क्टम’ (Ocimum Sanctum) कहा जाता है। तुलसी को विष्णुप्रिया (भगवान विष्णु की प्रिय), सुरसा (जिसका रस सर्वोत्तम हो), सुलभा (सरलता से उपलब्ध हो), बहुमंजरी (बहुत सारी मंजरियाँ लगती हैं), ग्राम्या (गाँवों में अधिक होने वाली तथा घर-घर में लगायी जाने वाली), अपेतराक्षसी (दर्शनमात्र से राक्षस एवं राक्षसों जैसे पाप भाग जाते हैं), शूलघ्नी (शूल अर्थात् दर्द एवं रोगों का नाश करने वाली), देवदुंदुभी (देवों के लिए आनंददायक) आदि नामों से गौरवान्वित किया गया है ।
📚तुलसी रहस्य