Hey Prabhu Anand Data Mp3 Play Now
हे प्रभु ! आनंददाता !! ज्ञान हमको दीजिये ।
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये ।।
हे प्रभु…
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें ।
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें ।।
हे प्रभु…
निंदा किसीकी हम किसीसे भूलकर भी ना करें ।
ईर्ष्या कभी भी हम किसीसे भूलकर भी ना करें ।।
हे प्रभु…
सत्य बोलें झूठ त्यागें मेल आपस में करें ।
दिव्य जीवन हो हमारा यश तेरा गाया करें ।।
हे प्रभु…
जाये हमारी आयु हे प्रभु ! लोक के उपकार में ।
हाथ डालें हम कभी ना भूलकर अपकार में ।।
हे प्रभु…
कीजिये हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा ।
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा ।।
हे प्रभु…
प्रेम से हम गुरुजनों की नित्य ही सेवा करें ।
प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें ।।
हे प्रभु…
योगविद्या ब्रह्मविद्या हो अधिक प्यारी हमें ।
ब्रह्मनिष्ठा प्राप्त करके सर्वहितकारी बनें ।।
हे प्रभु…
Hey Prabhu Anand Data: Best Prayer to God in Hindi
Importance of Prayers for Kids in Life
- “हे प्रभु ! तू हमारे मन को कल्याणकारी-सुखदायी मार्ग की ओर लगा ।”
- प्रार्थना माने अपनी जानकारी में जो सर्वोपरि वस्तु, व्यक्ति, आनंद है, उसको पाने की तीव्र इच्छा को, व्याकुलता को प्रकट करना । जिसको आप सर्वोत्तम ज्ञान, सर्वोत्तम आनंद समझते हैं वह हमारे जीवन में प्रकट हो जाय इस आकांक्षा को वाचिक, मानसिक और शारीरिक अभिव्यक्ति देने का नाम ‘प्रार्थना’ है । प्रार्थना में चार तत्त्व होने चाहिए :
1. अपने में दीनता का भाव होना चाहिए। हमारे जीवन में भगवान के अविनाशी, स्वयंप्रकाश, परमानंद स्वरूप को प्रकट होने में बाधक है- हमारा ही अभिमान और दूसरों का आश्रय । दीनता का बोध होने के बाद जो प्रार्थना की जाती है, उसमें भगवान का बल आ जाता है। जब तक अपने बल पर और अपनी प्रज्ञा पर भरोसा रहता है, तब तक भगवान के ज्ञान और शक्ति को प्रकट होने का अवसर नहीं मिलता ।
2. जिसकी हम प्रार्थना कर रहे हैं उसके स्वरूप का, स्वभाव का, गुणों का, मृदुता का, दयालुता का बोध और विश्वास होना चाहिए। वह सर्वज्ञ है, हमारे दिल दिमाग, हृदय की जानता है, सर्वसमर्थ है और ‘कर्तुं शक्यं अन्यथा कर्तुं शक्यम्’ है- ऐसा दृढ विश्वास होना चाहिए ।
3. प्रार्थना करते-करते हम ‘स्व’ को भूल जायें और ईश्वर ही रह जायें, वे ही रह जायें ! वाणी ही नहीं, मन भी एकदम मूक हो जाय, कुछ भी बोल न पाये ।
4. तन्मयता में भी ऐसी तन्मयता आये की कोई वासना ही नहीं रहे, कोई विचार नहीं रहे, भावना भी न रहे ।
प्रार्थना में असीम शक्ति है । कारण कि प्रार्थना में अपने बल पर जोर न देकर भगवान के बल का आश्रय होता है । प्रार्थना के बल पर प्रह्लाद ने नारायण को, द्रौपदी ने द्वारकाधीश को, सूरदास ने श्याम को प्रकट कर दिया । प्रार्थना शाश्वत साधन है । अभी भी कोई सच्चे हृदय से परमात्मा को पुकारे, प्रार्थना करे तो भगवान प्रकट होते हैं अथवा मनोवांछित पूर्ण करते हैं। प्रार्थी में विशुद्ध प्रज्ञा, विशुद्ध ज्ञान और सत्य से एकता प्रदान करने की शक्ति भी प्रार्थना में है। फिर छोटे-मोटे भोग, यश की तो बात ही क्या है ! लेकिन सच्चा भक्त तो अपनी प्रज्ञा में भगवत्प्रकाश के लिए प्रार्थना करता है । वेदों में भी प्रार्थना का महत्त्व है । वेद के मंत्रों को उलटने का सामर्थ्य किसी में भी नहीं है। ऐसे वेदों में प्रार्थना के बहुत अधिक मंत्र हैं: भद्रं नो अपि वातय मनः ।
प्रभु ! तू हमारे मन को कल्याणकारी-सुखदायी मार्ग की ओर लगा ।’ (ऋग्वेद: १०.२०.१)
तो आज से ही भगवत्प्राप्ति के इस शाश्वत साधन में जुट जाओ, जो कि भाई-माई, बच्चे-बूढे, जवान सब कर सकते हैं और सरल भी है ।