“मैंने पूज्य बापूजी से ‘सारस्वत्य मंत्र’ की दीक्षा ली है । जब मैं पूजा करता हूँ, बापूजी मेरी तरफ पलकें झपकाते हैं । मैं बापूजी से बातें करता हूँ। मैं रोज दस माला जप करता हूँ । मैं बापूजी से जो माँगता हूँ, वह मुझे मिल जाता है । मुझे हमेशा ऐसा एहसास होता है कि बापूजी मेरे साथ हैं ।
5 जुलाई 2005 को मैं अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था । मेरा छोटा भाई छत से नीचे गिर गया । उस समय हमारे घर में कोई बड़ा नहीं था। इसलिए हम सब बच्चे डर गये ।
इतने में पूज्य बापूजी की आवाज आयी कि ‘तांशू ! इसे वैन में लिटा और वैन चलाकर हास्पिटल ले जा ।’
उसके बाद मैंने अपनी दीदियों की मदद से हिमांशु को वैन में लिटाया। गाड़ी कैसे चली और अस्पताल तक कैसे पहुँची, मुझे नहीं पता । मुझे रास्ते भर ऐसा एहसास रहा कि बापूजी मेरे साथ बैठे हैं और गाड़ी चलवा रहे हैं । ( घर से अस्पताल की दूरी 5 कि.मी. से अधिक है । )
– तांशु बेसोया,
राजवीर कालोनी, दिल्ली – 96