– “शुक्रस्राव का स्वैच्छिक अथवा अनैच्छिक अपव्यय जीवनशक्ति का प्रत्यक्ष अपव्यय है। यह प्रायः सभी स्वीकार करते हैं कि रक्त के सर्वोत्तम तत्त्व शुक्रस्राव की संरचना में प्रवेश कर जाते हैं। यदि यह निष्कर्ष ठीक है तो इसका अर्थ यह हुआ कि व्यक्ति के कल्याण के लिए जीवन में ब्रह्मचर्य परम आवश्यक है।”