“Have Patience” A Story from Akhandananda Saraswati [स्वामी श्री अखंडानंदजी सरस्वती]
कोई उद्वेग का प्रसंग आ जाय तो घबराना मत, धैर्य रखना । हमारे जीवन में जो उद्वेग के, घबराने के प्रसंग आते हैं, उनमें से 99 प्रतिशत तो अपने-आप ही शांत हो जाते हैं । अंधकार देखकर घबराना नहीं चाहिए ।
प्रतिकूल परिस्थिति में यह नहीं समझना चाहिए कि ‘यह अब हमेशा के लिए आ गयी क्योंकि जो आता है सो जाता है । यह नियम है “यह भी नहीं रहेगा’ ।
अच्छे दिन आते हैं, ये नहीं रहेंगे । बुरे दिन आते हैं, ये नहीं रहेंगे । अच्छे दिन आयें तो फूल मत जाओ, यह भी धैर्य की कमी है । बुरे दिन आयें तो घबरा मत जाओ ।
हमने एक महीने की पैदल यात्रा प्रारम्भ की । दो-तीन मील चलते-चलते मूसलाधार वर्षा होने लगी । चारों ओर पानी भर गया ।
बोले, ‘अरे, पहले दिन ही ऐसा हुआ !’ लेकिन फिर भी धैर्य बना रहा । एक दीपक दिखता था बड़ी दूर, उसकी सीध में चले गये । छप्पर मिल गया, सूखी जमीन मिल गयी । रात को पीने को दूध मिल गया । सो गये । दूसरे दिन सवेरे उठे और फिर क्रमशः 29 दिनों की यात्रा की । कहीं कोई विघ्न आया ही नहीं । अतः विघ्न-बाधाओं में धैर्य नहीं खोना चाहिए ।
➢ लोक कल्याण सेतु, मई 2018