Vijayadashami 2024 Puja Shubh Muhurat Timings [Bina Muhurat ke Muhurat Dussehera 2024 :
विजयादशमी (Vijyadashmi) का दिन बहुत महत्त्व का है और इस दिन सूर्यास्त के पूर्व से लेकर तारे निकलने तक का समय अर्थात् संध्या का समय बहुत ही उपयोगी है ।
रघु राजा (Raghu Raja) ने इसी समय कुबेर पर चढ़ाई करने का संकेत कर दिया था कि “सोने की मुहरों की वृष्टि करो या फिर युद्ध करो ।”
रामचन्द्रजी रावण के साथ युद्ध में इसी दिन विजयी हुए । ऐसे ही इस विजयादशमी (Vijayadashami) के दिन अपने मन में जो रावण के विचार हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, भय, शोक, चिंता – इन अंदर के शत्रुओं को जीतना है और रोग, अशांति जैसे बाहर के शत्रुओं पर भी विजय पानी है ।
दशहरा यह खबर देता है । अपनी सीमा के पार जाकर औरंगजेब के दाँत खट्टे करने के लिए शिवाजी ने दशहरे का दिन चुना था – बिना मुहुर्त के मुहुर्त !
( विजयादशमी – Vijayadashami का पूरा दिन स्वयं सिद्ध मुहुर्त है अर्थात् इस दिन कोई भी शुभ कर्म करने के लिए पंचांग – शुद्धि या शुभ मुहुर्त देखने की आवश्यकता नहीं रहती। )
इसलिए दशहरे के दिन कोई भी वीरता पूर्ण काम करनेवाला सफल होता है ।
वरतंतु ऋषि का शिष्य कौत्स विद्याध्ययन समाप्त करके जब घर जाने लगा तो उसने अपने गुरुदेव से गुरुदक्षिणा के लिए निवेदन किया ।
तब गुरुदेव ने कहा : ‘‘वत्स ! तुम्हारी सेवा ही मेरी गुरुदक्षिणा है। तुम्हारा कल्याण हो ।”
परंतु कौत्स के बार-बार गुरुदक्षिणा के लिए आग्रह करते रहने पर ऋषि ने क्रुद्ध होकर कहा : ‘‘तुम गुरुदक्षिणा देना चाहते हो तो चौदह करोड़ सुवर्णुद्राएँ लाकर दो ।”
अब गुरुजी ने आज्ञा की है । इतनी स्वर्ण मुद्राएँ और कोई देगा नहीं, रघु राजा के पास गये ।
रघु राजा ने इसी दिन को चुना और कुबेर को कहा : ‘‘या तो स्वर्णुद्राओं की बरसात करो या तो युद्ध के लिए तैयार हो जाओ ।”
कुबेर जी ने शमी वृक्ष पर स्वर्णुद्राओं की वृष्टि की । रघु राजा ने वह धन ऋषिकुमार को दिया लेकिन ऋषिकुमार ने अपने पास नहीं रखा, ऋषि को दिया ।
विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है और उसके पत्ते देकर एक-दूसरे को यह याद दिलाना होता है कि सुख बाँटने की चीज है और दुःख पैरों तले कुचलने की चीज है ।
धन-सम्पदा अकेले भोगने के लिए नहीं है । तेन त्यक्तेन भुंजी था… । जो अकेले भोग करता है, धन-सम्पदा उसको ले डूबती है । भोगवादी दुनिया में विदेशी ‘अपने लिए – अपने लिए… करते हैं तो ‘व्हील चेयर’ पर और ‘हार्ट अटैक आदि कई बीमारियों से मरते हैं । अमेरिका में 58 प्रतिशत लोगों को सप्ताह में कभी-कभी अनिद्रा सताती है और 35 प्रतिशत लोगों को हर रोज अनिद्रा सताती है । भारत में अनिद्रा का प्रमाण 10 प्रतिशत भी नहीं है क्योंकि यहाँ सत्संग है और त्याग, परोपकार से जीने की कला है ।
यह भारत की महान संस्कृति का फल हमें मिल रहा है तो दशहरे की संध्या को भगवान को प्रीतिपूर्वक भजें और प्रार्थना करें कि ‘हे भगवान ! जो चीज सबसे श्रेष्ठ है उसीमें हमारी रुचि करना ।
संकल्प करना कि ‘आज प्रतिज्ञा करते हैं कि ॐ कार का जप करेंगे । ‘ॐ कार जप करने से देवदर्शन, लौकिक कामनाओं की पूर्ति, आध्यात्मिक चेतना में वृध्दि, साधक की ऊर्जा एवं क्षमता में वृध्दि और जीवन में दिव्यता तथा परमात्मा की प्राप्ति होती है ।
– सीख : गुरुदेव से अपनी बात मनवाने के लिए आग्रह नहीं करना चाहिए । दशहरे के दिन अपनी बुरी आदतों को छोडने का संकल्प लेना चाहिए और ‘ॐ कार जप करना चाहिए ।
~ बाल संस्कार पाठ्यक्रम, दूसरा सप्ताह – अक्टूबर