नरेंद्र नाम का एक सात वर्ष का लड़का था, हमेशा सच बोलना उसके जीवन का आदर्श था।
एक बार जब शिक्षक कक्षा में पढ़ा रहे थे कुछ लड़के आपस में बातें कर रहे थे…. शिक्षक ने उनको डांटते हुए पूछा : “बताओ, मैं क्या पढ़ा रहा था ?”
उनमें से किसी ने जवाब नहीं दिया जब नरेंद्र की बारी आई तो उसने ठीक उत्तर दिया।
शिक्षक ने उसे बैठ जाने को कहा और दूसरे लड़कों को खड़े रहने की आज्ञा दी परंतु नरेंद्र भी खड़ा रहा।
पूछने पर उसने जवाब दिया : “गुरुजी ! मैं आपका पढ़ाना सुन रहा था लेकिन दूसरे लड़कों की तरह बातें भी कर रहा था इसलिए मुझे भी उनके साथ खड़े रहना चाहिए।”
नरेंद्र की इस सच्चाई को देखकर गुरुजी अत्यंत प्रसन्न हुए। यही नरेंद्र आगे चलकर स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध हुए।
📚लोक कल्याण सेतु / मार्च २०१७