An Inspirational Short Story from Biography of Chandra Shekhar Azad in Hindi: भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में हुतात्मा चन्द्रशेखर आजाद का नाम स्वर्णाक्षरों से अंकित है ।
अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले आजाद बड़े ही संयमी, सदाचारी और सच्चरित्रवान थे । उनके जीवन के कई प्रसंग इस बात के प्रमाण हैं ।
एक बार झाँसी में रहते हुए उनका परिचय कुछ ठाकुर व सरदारों से हो गया ।
एक दिन आजाद अपने सरदार मित्र के साथ कहीं निशानेबाजी का अभ्यास करने गये । पास की एक रियासत का राजा भी वहाँ आया था । वह आजाद की निशानेबाजी से बहुत प्रभावित हुआ और उन्हें अपने महल में आने का निमंत्रण दिया ।
आजाद उसके यहाँ आने-जाने लगे । किंतु राजा बहुत चरित्रभ्रष्ट था । आजाद के व्यक्तित्व में असाधारण आकर्षण तो था ही । राजा ने उनके सामने विलासिता संबंधी कोई अनुचित प्रस्ताव रखा । आजाद के पाँव कहाँ डगमगाने वाले थे ! वे तुरंत वहाँ से अपने सरदार मित्र के यहाँ चले आये और बस्ती छोड़ देने का विचार प्रकट किया ।
जब मित्र ने उनको यह कहकर रोकना चाहा कि “राजा बहुत-सा धन देगा”, तब उन्होंने कहा कि ‘‘हमारा दल आदर्श क्रांतिकारियों का दल है, देशभक्तों का दल है, आचारहीनों का नहीं । यदि हमें धन नहीं मिलेगा तो हम लोग भूखे मर जाना अच्छा समझेंगे । हम फाँसी पर चढ सकते हैं लेकिन कोई घृणित कार्य कभी नहीं करेंगे ।’’
(ऐसे अनेक क्रांतिकारियों, महान व्यक्तियों के सफल जीवन की नींव ‘संयम’ से संबंधित प्रेरक जीवन-प्रसंगों हेतु पढें मासिक समाचार पत्र ‘लोक कल्याण सेतु’)