Time and Tide Waits For None [Samay Kisi ke liye Nahi Rukta]:
‘अथर्ववेद’ का एक मंत्र है :
‘कालो अश्वो वहति सप्तरश्मिः सहस्राक्षो अजरो भूरिरेताः।
तमा रोहन्ति कवयो विपश्चितस्तस्य चक्रा भुवनानि विश्वा ॥’
‘कालरूपी घोड़ा विश्वरूपी रथ का वाहक है और वह रथ सात किरणों, सहस्र नेत्रों तथा अत्याधिक पराक्रम से युक्त एवं जरा से रहित है, समस्त लोक उसके चक्र हैं । बुद्धिमान लोग ही उस रथ पर आरोहण करते हैं ।” (अथर्ववेद : कांड 19, सूक्त 53, मंत्र1)
जैसे घुड़सवार घोड़े को नियंत्रित कर लेता है, वैसे ही बुद्धिमान लोग अपने समय को सुनियोजित करके उसे सत्प्रयोजनों में लगा लेते हैं ।
समय ऐसा अमूल्य धन है जिस धन की किसी के साथ तुलना नहीं की जा सकती । गया हुआ धन, खोया हुआ स्वास्थ्य, गँवाया हुआ राजपाट, हारी हुई कुर्सी, खोयी हुई इज्जत भी लोग फिर से अर्जित कर लेते हैं । किंतु बीते हुए समय को आज तक कोई माई का लाल वापस नहीं ला पाया । एक चित्रकार ने विचित्र चित्र बनाया । उसमें चित्रित पुरुष का मुँह बालों से ढँका हुआ था ।
सामान्यतः मनुष्य के सिर पर बाल रहते हैं और सामने ललाट खुला रहता है किंतु उस पुरुष को आगे बाल थे, पीछे टाल थी एवं पैरों में पंख लगे हुए थे । लोगों ने पूछा: “ऐसा चित्र किस निमित्त से बनाया है ? यह किसकी खबर दे रहा है ?”
चित्रकार बोला: “यह समय का चित्र है । समय आता है मुँह ढँककर, पता नहीं चलता कि कौन-सा समय है ? बीतता है ऐसे जैसे गंजे के सिर के बाल झड़कर टाल रह जाती है और जाता है तो मानों, पैरों में पंख लगाकर उड़ जाता है ।”
बचपन आया और बचपन के खेल पूरे हुए-न-हुए कि जवानी आ जाती है । जवानी का जोश दिखा-न-दिखा, बुढ़ापा आकर जीवन पर हस्ताक्षर कर देता है और बुढ़ापा कब मृत्यु में बदल जाय, कोई पता नहीं ।
समय देकर आज तक आपने जो कुछ भी पाया है, उन सबको लौटाकर भी आप बीता हुआ समय वापस नहीं ला सकते । मि.. कूलिज चार साल तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे । उनके मित्रों ने उनसे कहा: “आप फिर से चुनाव लड़ो । समाज में आपका बड़ा प्रभाव है । आप फिर चुने जाओगे ।”
कूलिज ने कहा : “चार साल मैंने ‘व्हाइट हाउस’ में रहकर देख लिया । राष्ट्रपति पद सँभालकर देख लिया । कोई सार नहीं । खुद को धोखा देना है, समय बर्बाद करना है । अब मेरे पास बर्बाद करने के लिए समय नहीं है ।”
स्वामी रामतीर्थ प्रार्थना किया करते थे : “हे प्रभु ! मुझे मित्रों से बचाओ, मुझे सुखों से बचाओ ।”
सरदार पूरन सिंह ने कहा : ‘आप यह क्या कह रहे हैं स्वामीजी ? शत्रुओं से बचना होगा, मित्रों से क्या बचना ?”
रामतीर्थ : “नहीं, शत्रुओं से मैं निपट लूँगा, दुःखों से मैं निपट लूँगा; दुःख में कभी आसक्ति नहीं होती, ममता नहीं होती । ममता, आसक्ति जब हुई है तब सुख से हुई है, मित्रों से हुई है, स्नेहियों से हुई है । “
मित्र हमारा समय खा जाते हैं, सुख हमारा समय खा जाते हैं । वे हमें बेहोशी में रखते हैं । जो करना है वह रह जाता है और जो नहीं करना है उसे सँभालने में ही जीवन पूरा हो जाता है । समय का बहुत महत्व है । समय के मूल्य को जानो ।
श्री आद्य शंकराचार्यजी का कथन है : ‘एक करोड़ सोने की मोहरें देकर भी आयुष्य का एक पल भी बढ़ा नहीं सकते । अतः दिनचर्या इस तरह बनानी चाहिए कि एक क्षण भी व्यर्थ न जाय ।
एक भारतीय सज्जन ने जापान में देखा कि स्टेशन पर ट्रेन रुकने के बाद ड्राइवर नोटबुक में कुछ लिख रहा है । पूछने पर ड्राइवर ने बताया : “मैं स्टेशन पर पहुँचने का समय लिख रहा हूँ । गाड़ी पहुँचाने में अगर एक मिनट भी देर करूँगा तो इसमें सफर करनेवाले ३००० यात्रियों के उतने ही मिनट बर्बाद होंगे और इस प्रकार मुझसे देशद्रोह का अपराध हो जायेगा ।’
सभी कर्मचारी अगर इस प्रकार सावधान रहकर समाज रूपी देवता का समय बचायें तो कितना अच्छा होगा ! जीवन में समय का सदुपयोग परमावश्यक है । इसके लिए आपको समय का पाबंद होना पड़ेगा ।
समय का सदुपयोग करके आप दुनिया की हर चीज प्राप्त कर सकते हैं परंतु दुनिया की सारी धन-दौलत लुटाकर भी गुजरे हुए समय को हासिल नहीं कर सकते । समय को धन की नाई तिजोरी में नहीं रखा जा सकता । अतः सावधान ! समयरूपी अमूल्य धन नष्ट न कीजिये ।
नेपोलियन समय का ध्यान इस तरह रखता था, जैसे युद्ध के नक्शे का ! सेना की तो बात ही क्या, इस विषय में वह अपने सेना नायकों का भी बड़ा ध्यान रखता था । एक बार उसका मंत्री दस मिनट देर से आया ।
नेपोलियन के कारण पूछने पर उसने कहा : “मेरी घड़ी दस मिनट लेट है ।” तब नेपोलियन ने कहा: “या तो तुम अपनी घड़ी बदल लो, नहीं तो मैं तुम्हें बदल दूँगा ।’ कलाई में घड़ी होते हुए भी आप अपने काम पर ठीक समय पर नहीं जा पाते हो तो आपका घड़ी बाँधना व्यर्थ ही है । टिक-टिक करती हुई घड़ी आपको यही संदेश देती है, सावधान करती है कि उद्यम और पुरुषार्थ ही जीवन है । निरंतर कार्य में लगे रहो, प्रभु-सुमिरन में लगे रहो । एक क्षण भी व्यर्थ मत जाने दो । जीवन में समय का बड़ा महत्व है । जो समय बर्बाद करता है, समय उसी को बर्बाद कर देता है ।
याद रखिये, अमूल्य समय का उपयोग अमूल्य से भी अमूल्य परमात्मा को पाने के लिए करना ही मनुष्य जीवन का वास्तविक उद्देश्य है । जिन्होंने इस उद्देश्य को पाने का दृढ़ संकल्प करके समय का सदुपयोग किया है, वे ही वास्तव में महान बने हैं, उन्हीं का जीवन कृतार्थ हुआ है ।
– ऋषि प्रसाद, सितम्बर 2006