जानिये सफलता का विज्ञान- पूज्य बापूजी से…..
उत्सुकता हमें वरदानरूप में मिली है। उसी को जो ʹजिज्ञासा बना लेता है वह है पुरुषार्थी। सफलता ऐसे उद्यमी को विजयश्री की माला पहनाती है।
एक लड़के ने शिक्षक से पूछाः “मैं महान कैसे बनूँ ?”
शिक्षक बोलेः “महान बनने की जिज्ञासा है ?”
“है।”
“जो बताऊँ वह करेगा ?”
“करूँगा।”
“लेकिन कैसे करेगा ?”
“मैं मार्ग खोज लूँगा।”
शिक्षक ने कहाः “ठीक है, फिर तू महान बन सकता है।”
थामस अल्वा एडिसन (Thomas Alva Edison) तुम्हारे जैसे बच्चे थे। वे बहरे भी थे। पहले रेलगाड़ियों में अखबार, दूध की बोतलें आदि बेचा करते थे परंतु उनके जीवन में जिज्ञासा थी, अतः आगे जाकर उन्होंने अनेक आविष्कार किये। बिजली का बल्ब आदि 1093 खोजें उनकी देन हैं।
* “जहाँ चाह वहाँ राह !” जिसके जीवन में जिज्ञासा है वह उन्नति के शिखर जरूर पार कर सकता है।
किसी कक्षा में पचास विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिसमें शिक्षक तो सबके एक ही होते हैं, पाठ्यपुस्तकें भी एक ही होती हैं किंतु जो बच्चे शिक्षकों की बातें ध्यान से सुनते हैं एवं जिज्ञासा करके प्रश्न पूछते हैं, वे ही विद्यार्थी माता-पिता एवं विद्यालय का नाम रोशन कर पाते हैं और जो विद्यार्थी पढ़ते समय ध्यान नहीं देते, सुना-अनसुना कर देते हैं, वे थोड़े से अंक लेकर अपने जीवन की गाड़ी बोझीली बनाकर घसीटते रहते हैं।
अतः जिज्ञासु बनो, तत्पर बनो। ऐहिक जगत के जिज्ञासु होते-होते ʹमैं कौन हूँ ? शरीर मरने के बाद भी मैं रहता हूँ, मैं आत्मा हूँ तो आत्मा का परमात्मा के साथ क्या संबंध है ? ब्रह्म परमात्मा की प्राप्ति कैसे हो ? जिसको जानने से सब जाना जाता है, जिसको पाने से सब पाया जाता है वह तत्त्व क्या है ?ʹ ऐसी जिज्ञासा करो। इस प्रकार की ब्रह्मजिज्ञासा करके ब्रह्मज्ञानी करके ब्रह्मज्ञानी-जीवन्मुक्त होने की क्षमताएँ तुममें भरी हुई हैं । शाबाश वीर ! शाबाश !!…..
सोचें व जवाब दें-
🔹मैं कौन हूँ ? – यह किस प्रकार की जिज्ञासा है ?
🔹किस तरह के विद्यार्थी माता-पिता एवं विद्यालय का नाम रोशन कर सकते हैं ?
🔹क्रियाकलापः आप सफलता पाने के लिए क्या करोगे ? लिखें और उपरोक्त विषय पर आपस में चर्चा करें।