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अधिक भोजन से हानि !!

एक समय की बात है, आत्मानंद की मस्ती में रमण करने वाले भगवान बुद्ध जेतवन में ठहरे हुए थे । एक सुबह कौशल नरेश प्रसेनजित बुद्ध के पास आकर बैठ गए । नींद उन्हें अभी

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उन्नति की सीढ़ी

Ladder of Achievement   यह सब पूज्य बापूजी की करुणा-कृपा का परिणाम है, अन्यथा कहाँ तो नकल मारकर पास होने वाला विद्यार्थी और कहाँ आई.ए.एस की कठिन परीक्षा ! पहले में पढ़ने में बहुत कमजोर

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sardar vallabhbhai patel

हृदय में हो संवेदना व सुदृढ़ता भी | Sardar Vallabhbhai

तब क्या हुआ जब अंग्रेज न्यायाधीश ने वहाँ की मुख्य सड़क पर तिरंगा झण्डा लेकर चलने पर पाबंदी लगा दी…!!!! कुछ विद्यार्थी पढ़ने के लिए अपने गाँव से दूसरे गाँव पैदल जा रहे थे ।

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आवश्यकता है वीर सपूतों की | Malharrao Holkar ji

बात उस समय की है जब हिंदुओं पर मुगलों का अत्याचार अपनी चरम सीमा पर था और हिन्दू अपने को दीन व लाचार मानकर सब सह रहे थे। औरंगजेब का खौफ महाराष्ट्र के गाँवों में

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lokmanya tilak gita rahasya

लोकमान्य तिलकजी व गीता |lokmanya tilak gita rahasya

जब तिलक जी ने बिना हिले-डुले, व्यथित हुए शांतिपूर्वक ऑपरेशन करा लिया… श्रीमद् भगवद्गीता की महिमा अपरम्पार है । आपको गीताजी की महिमा के बारे में लोकमान्य तिलक जी (Lokmanya Tilak ji) के जीवन का

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Satsang

मानवीयता की महक | Satsangi chacha – Story in hindi

आज हम जानेंगे एक सत्संगी व्यक्ति के सम्पर्क में आनेवालों का जीवन भी किस प्रकार मानवीयता, सहयोग और सुहृदयता की बगिया से महक जाता है। एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर

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बच्चों को माता-पिता कैसे बनायें महान | Parenting tips hindi

बालक सुधरे तो जग सुधरा । बालक-बालिकाएँ घर, समाज व देश की धरोहर हैं । इसलिए बचपन से ही उनके जीवन पर विशेष ध्यान देना चाहिए । यदि बचपन से ही उनके रहन-सहन, खान-पान, बोल-चाल,

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ईरान बादशाह ने देखा भारत का खजाना | Bharat ek khoj

एक बार ईरान के बादशाह नशीखान ने संजीवनी बूटी के बारे में सुना। उसने अपने प्रिय हकीम बरजुए से पूछा: ”क्या तुमने भी कभी संजीवनी बूटी का नाम सुना है?” “जी, बादशाह सलामत यह हिन्दुस्तान

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देशभक्त सुभाषचन्द्र | Subhash Chandra Bose Desh Bhakt

सन् 1915 में सुभाष ने कलकत्ता प्रेसीडेन्सी कॉलेज में बी.ए.की शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रवेश लिया। वहाँ भारतीय विद्यार्थियों के प्रति अंग्रेज प्राध्यापकों का व्यवहार अच्छा न था।

किसी भी छोटे से कारण पर वे छात्रों को बड़ी भद्दी-भद्दी गालियाँ सुना दिया करते थे। एक बार सुभाष की कक्षा के कुछ छात्र अध्ययन-कक्ष के बाहर बरामदे में खड़े थे। प्रोफेसर ई.एफ. ओटेन उधर से गुजरे और बरामदे में खड़े छात्रों पर बरस पड़े- “जंगली, काले, बदतमीज इंडियन….!”

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balak bhakt dhruv story kahani

बालभक्त ध्रुव | Balak Bhakt Dhruv ki kahani in hindi

हे विद्यार्थी ! जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफल होना चाहते हो तो कोई-न-कोई अच्छा व्रत ले लो तथा उसका दृढ़तापूर्वक पालन करो। जिस प्रकार गांधी जी ने बाल्यावस्था में राजा हरिशचन्द्र का नाटक देखकर

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