Labh Panchami 2022: Significance, Date, Puja, Muhurat, Mantras

Labh Pancham 2022 Date

  • 29 अक्टूबर 2022, शनिवार

वास्तविक लाभ पाने का दिन : लाभपंचमी

  • कार्तिक शुक्ल पंचमी ‘लाभपंचमी’ कहलाती है । इसे ‘सौभाग्य पंचमी’ भी कहते हैं । जैन लोग इसको ज्ञान पंचमी कहते हैं । व्यापारी लोग अपने धंधे का मुहूर्त आदि लाभपंचमी को ही करते हैं ।
  • लाभपंचमी के दिन धर्मसम्मत जो भी धंधा शुरू किया जाता है उसमें बहुत-बहुत बरकत आती है । यह सब तो ठीक है लेकिन संतों-महापुरुषों के मार्गदर्शन-अनुसार चलने का निश्चय करके भगवद्भक्ति के प्रभाव से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार इन पाँचों विकारों के प्रभाव को खत्म करने का दिन है लाभपंचमी ।

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  • लाभपंचमी को भगवान को पाने के पाँच उपाय भी समझ लेना :
  1. ‘मैं भगवान का हूँ, भगवान मेरे हैं । मुझे इसी जन्म में भगवत्प्राप्ति करनी है ।’- यह भगवत्प्राप्ति का भाव जितनी मदद करता है, उतना तीव्र लाभ उपवास, व्रत, तीर्थ, यज्ञ से भी नहीं होता । और फिर भगवान के नाते सबकी सेवा करो ।
  2. भगवान के श्रीविग्रह को देखकर प्रार्थना करते-करते गदगद होने से हृदय में भगवदाकार वृत्ति बनती है ।
  3. सुबह नींद से उठो तो एक हाथ तुम्हारा और एक प्रभु का मानकर बोलो : ‘मेरे प्रभु ! मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरे हो… मेरे हो न… हो न…?’ ऐसा करते हुए जरा एक-दूसरे का हाथ दबाओ और भगवान से वार्तालाप करो । पहले दिन नहीं तो दूसरे दिन, तीसरे दिन, पाँचवें, पंद्रहवें दिन अंतर्यामी परमात्मा तुम पर प्रसन्न हो जायेंगे और आवाज आयेगी कि ‘हाँ भाई ! तू मेरा है ।’ बस, तुम्हारा तो काम हो गया !
  4. गोपियों की तरह भगवान का हृदय में आह्वान, चिंतन करो और शबरी की तरह ‘भगवान मुझे मिलेेंगे’ ऐसी दृढ़ निष्ठा रखो ।
  5. किसी के लिए अपने हृदय में द्वेष की गाँठ मत बाँधना, बाँधी हो तो लाभपंचमी के पाँच-पाँच अमृतमय उपदेश सुनकर वह गाँठ खोल देना । जिसके लिए द्वेष है वह तो मिठाई खाता होगा, हम द्वेष बुद्धि से उसको याद करके अपना हृदय क्यों जलायें ! जहर जिस बोतल में होता है उसका नहीं बिगाड़ता लेकिन द्वेष तो जिस हृदय में होता है उस हृदय का ही सत्यानाश करता है ।
  • स्वार्थरहित सबका भला चाहें और सबके प्रति भगवान के नाते प्रेमभाव रखें ।
  • जैसे माँ बच्चे को प्रेम करती है तो उसका मंगल चाहती है, हित चाहती है और मंगल करने का अभिमान नहीं लाती, ऐसा ही अपने हृदय को बनाने से तुम्हारा हृदय भगवान का प्रेमपात्र बन जायेगा ।
  • हृदय में दया रखनी चाहिए । अपने से छोटे लोग भूल करें तो दयालु होकर उनको समझायें, जिससे उनका पुण्य बढ़े, उनका ज्ञान बढ़े ।
  • जो दूसरों का पुण्य, ज्ञान बढ़ाते हुए हित करता है वह यशस्वी हो जाता है और उसका भी हित अपने-आप हो जाता है । लाभ-पंचमी के दिन इन बातों को पक्का कर लेना चाहिए ।
  • धन, सत्ता, पद-प्रतिष्ठा मिल जाना वास्तविक लाभ नहीं है । वास्तविक लाभ तो जीवनदाता से मिलाने वाले सद्गुरु के सत्संग से जीवन जीने की कुंजी पाकर, उसके अनुसार चलके लाभ-हानि, यश-अपयश, विजय-पराजय सबमें सम रहते हुए आत्मस्वरूप में विश्रांति पाने में है ।
    – बाल संस्कार केंद्र पाठ्यक्रम, नवम्बर 2020

लाभ पंचमी - शुभ फलों और धन-धान्य से संपन्न होने का महापर्व