What is Diwali and Why is it celebrated [History Story, Katha]

What is Diwali, Why Diwali is celebrated [Diwali Kyu manaya jata hai]. Know History Story/ Katha in Hindi:

  • भगवान राम ने जिस दिन अयोध्या में प्रवेश किया था, वह दीपावली का दिन माना जाता है । इस दिन जैसे घर का कचरा निकाल कर दीपक जलाकर प्रकाश किया जाता है, ऐसे ही अंतःकरण में अज्ञान का अहंता – ममता का जो कचरा है, दोष है, इन सब को भी निकाल के ज्ञान का प्रकाश करें ।
  • इन सब दोषों की जड़ है अविद्या, अस्मिता, राग ,द्वेष अभिनिवेश उसका परिवार है । इन दोषों से आदमी घिरा हुआ है, अंधेरे में है ।
  • अविद्या का मतलब है अंधेरा । उस अंधेरे को निकालने से ही वास्तविक भीतरी दिवाली होती है ।
  • जब श्रीरामचंद्रजी अयोध्या आए तब अयोध्या में आनंद, प्रकाश और दिव्यता छा गई, ऐसे ही अपने हृदय रूपी अयोध्या में जब अंतर आत्मा राम प्रकट होते हैं तब जीवन में ब्रह्मानंद, ज्ञान का प्रकाश और दिव्य शांति छा जाती है ।
  • जरा-जरा बात में अगर उलझ जाएंगे तो अपने ह्रदय रूपी अयोध्या में आत्मा रूपी राम जी का प्राकट्य नहीं होगा ।
  • जब राम जी अयोध्या से चले जाते हैं तब अयोध्या सुनी हो जाती है, लोग दु:खी हो जाते हैं लेकिन राम जी आने वाले हैं तो लोग घरों को साफ करते हैं । इसी प्रकार अपने चित्त में आत्माराम का प्राकट्य करने के लिए हम इंद्रियों को पवित्र और संयमित रखें ।
  • यह राम जी के आगमन की पूर्वभूमिका है । हर हृदय में छुपे हुए राम संयम और पवित्रता के द्वारा प्रकट किए जा सकते हैं, यदि उत्सुकता हो ।
  • नवद्वारों वाली यह देश ही अयोध्या है । दस इंद्रियों में रत रहने वाला जीवन रूपी दशरथ इस पर राज्य करता है ।
  • दशरथ की तीन रानियां है- कौशल्या, सुमित्रा व कैकयी । इसी प्रकार सत्वगुण, रजोगुण,तमोगुण- यह तीन वृत्तियां इस जीवात्मा दशरथ की रानियां है ।
  • यह चाहता है कि रामराज्य हो लेकिन कैकयी की कहानी में लगकर रामराज्य की जगह राम वनवास हो जाता है । दशरथरूपी जीव राम खोते हैं और दुखी होते हैं ।
  • सीता जी राम के साथ-साथ जाती है और सोने का मृग देखती है । सोने के मृग की तरफ उनका आकर्षण हुआ तो उन्हें राम जी के सान्निध्य से दूर कर दिया । सीता जी स्वर्ण की लंका में पहुंची लेकिन ‘ राम ‘ बिना सोने की लंका क्या मायने रखती है ? सीता जी तड़प रही है ।
  • हनुमानजी ज्ञान और वैराग्य की मूर्ति हैं । शास्त्रों के ज्ञाता और संसार के विषय- विकारों से वैराग्य वाले हनुमान जी अगर सहयोग देते हैं तो सीता जी श्रीरामजी से मिल पाती हैं ।
  • ऐसे ही तुम्हारी भक्ति वृत्ति परमात्मा को मिले इसीलिए ब्रह्मज्ञान के अभ्यास और वैराग्य रूपी हनुमान जी की आवश्यकता है ।
    – लोक कल्याण सेतु, अक्टूबर 2015

Why we Celebrate Diwali ? Diwali kyu manaya jata hai