Importance of Dusshera in Hindi [Significance of Vijayadashami 2024] : दशहरा एक दिव्य पर्व है । सभी पर्वों की अपनी-अपनी महिमा है किंतु दशहरा पर्व की महिमा जीवन के सभी पहलुओं के विकास, सर्वांगीण विकास की तरफ इशारा करती है ।

दशहरे के बाद पर्वों का झुंड आयेगा लेकिन सर्वांगीण विकास का श्रीगणेश कराता है दशहरा ।

दशहरा दश पापों को हरने वाला, दश (दस) शक्तियों को विकसित करने वाला, दशों दिशाओं में मंगल करने वाला और दश प्रकार की विजय देने वाला पर्व है, इसलिए इसे ‘विजयादशमीङ्क भी कहते हैं ।

यह अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, दुराचार पर सदाचार की विजय, बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय, अन्याय पर न्याय की विजय, तमोगुण पर सत्गुवण की विजय, दुष्कर्म पर सत्कर्म की विजय, भोग-वासना पर योग और संयम की विजय, आसुरी तत्वों पर दैवी तत्वों की विजय, जीवत्व पर शिवत्व की और पशुत्व पर मानवता की विजय का पर्व है ।

आज के दिन दशानन का वध करके भगवान राम की विजय हुई थी ।

महिषासुर का अंत करने वाली दुर्गा माँ का विजय-दिवस है – दशहरा ।

शिवाजी महाराज ने युद्ध का आरंभ किया तो दशहरे के दिन । रघु राजा ने कुबेर भंडारी को कहा कि ‘इतनी स्वर्ण मुहरें तू गिरा दे । ये मुझे विद्यार्थी (कौत्स ब्राह्मण) को देनी हैं, नहीं तो युद्ध करने आ जा ।’ कुबेर भंडारी ने, स्वर्ण भंडारी ने स्वर्ण मुहरों की वर्षा की दशहरे के दिन । 

दशहरा माने पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ और अंतःकरण चतुष्ट्य – इन नौ को शक्ति देने वाला अर्थात् देखने की शक्ति, सूँघने की शक्ति, चखने की शक्ति, स्पर्श करने की शक्ति, सुनने की शक्ति – पाँच प्रकार की ज्ञानेन्द्रियों की जो शक्ति है यह तथा मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार – चार अंतःकरण चतुष्ट्य की शक्ति ।

इन नौ को सत्ता देने वाली जो परमात्म-चेतना है वह है आपका आत्मा-परमात्मा । इसकी शक्ति जो विद्या में प्रयुक्त हो तो विद्या में आगे बढ़ते हैं, जो बल में लगे तो बल में आगे बढ़ते  हैं, भक्ति में प्रयोग हो तो भक्ति में आगे बढ़ते हैं, योग में हो तो योग में आगे बढ़ते हैं और सबमें थोड़ी-थोड़ी लगे तो सब दिशाओं में विकास होता है ।