Meaning of Guru Purnima in Hindi [Guru Purnima Importance, Mahatva and Significance in Hindi] :
- गुरुपूनम के दिन जो शिष्य ब्रह्मवेत्ता सद्गुरु के श्रीचरणों में पहुँचकर संयम-श्रद्धा-भक्ति से उनका पूजन करता है उसे वर्षभर के पर्व मनाने का फल मिलता है ।
- “गुरुपूर्णिमा” अर्थात् गुरु के पूजन का पर्व ।
- गुरुपूर्णिमा के दिन छत्रपति शिवाजी भी अपने गुरु का विधि-विधान से पूजन करते थे ।
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- …..किन्तु आज सब लोग अगर गुरु को नहलाने लग जायें, तिलक करने लग जायें, हार पहनाने लग जायें तो यह संभव नहीं है । लेकिन षोडशोपचार की पूजा से भी अधिक फल देने वाली मानस पूजा करने से तो भाई ! स्वयं गुरु भी नही रोक सकते । मानस पूजा का अधिकार तो सबके पास है ।
- “गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर मन-ही-मन हम अपने गुरुदेव की पूजा करते हैं…. मन-ही-मन गुरुदेव को कलश भर-भरकर गंगाजल से स्नान कराते हैं…. मन-ही-मन उनके श्रीचरणों को पखारते हैं…. परब्रह्म परमात्मस्वरूप श्रीसद्गुरुदेव को वस्त्र पहनाते हैं…. सुगंधित चंदन का तिलक करते है…. सुगंधित गुलाब और मोगरे की माला पहनाते हैं…. मनभावन सात्विक प्रसाद का भोग लगाते हैं…. मन-ही-मन धूप-दीप से गुरु की आरती करते हैं….”
- इस प्रकार हर शिष्य मन-ही-मन अपने दिव्य भावों के अनुसार अपने सद्गुरुदेव का पूजन करके गुरुपूर्णिमा का पावन पर्व मना सकता है ।
अन्य पूनम तो तुम मनाते हो लेकिन गुरुपूनम तुम्हें मनाती है । वह कहती है कि भैया ! अब इधर आ जाओ । तुम बहुत भटके, बहुत अटके और बहुत लटके । जहाँ गये वहाँ धोखा ही धोखा खाया । अपने को ही सताया । अब जरा अपनी आत्मा में आराम पाओ ।
– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू
– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू