➠ एक बार आप अपने पास के मंदिर में अकेले गुमसुम बैठकर सोच रहे थे कि ‘मेरा कोई अच्छा दोस्त नहीं है, जो हमेशा मेरे साथ रहे और मेरी हर बात सुने । मेरी गलती पर रोक-टोक करे, समझाये और अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित करे । ऐसा सोच आप दुःखी हो रहे थे ।

➠ आप आँखें बंद करके बैठ गये । अचानक आपको एहसास हुआ कि ‘आपको कोई हिलाकर उठा रहा है । आपने आँखें खोली तो देखा एक बहुत ही सुंदर नन्हा-सा बच्चा मुस्कुरा रहा है । उसके सिर पर मोर मुकुट है, ललाट पर तिलक लगा है, सुंदर कपड़े पहने हुए है जिसे देखकर आपको बहुत आनंद आ रहा था ।

➠ आपने उससे पूछा कि ‘तुम्हारा नाम क्या है, तुम कहाँ से आये हो ?’
उसने बहुत ही मीठी आवाज में कहा : ‘‘मित्र ! हर नाम मेरा ही है, मैं हर जगह रहता हूँ । पहले तुम बताओ कि तुम ऐसे क्यों बैठे हो ?”

➠ आपने अपने मन की सारी बात बता दी । उसने खिलखिलाकर हँसते हुए कहा : ‘‘बस, इतनी-सी बात ! चलो आज से मैं तुम्हारा मित्र हूँ । तुम जब भी मुझे याद करोगे मैं तुरंत तुम्हारे पास आ जाऊँगा और हमेशा तुम्हारी मदद करूँगा ।”

➠ आपने पूछा कि ‘मगर तुम मुझे गलत काम करने से रोकोगे कैसे ? और अच्छा काम करने के लिए मार्गदर्शन कैसे दोगे ?’

➠  ‘‘अरे, मित्र ! यही तो मेरा काम है । तुम जब भी कोई कार्य करो तो देखना तुम्हारे दिल की धड़कन बढ़ गयी है तो समझना वह काम गलत है और तुम कोई कार्य करो और तुम्हे आनंद आये तो समझना वह काम भगवान को पसंद आ गया है । “

➠ ऐसा कहकर वह बालक जाने लगा ।  आपने उससे पूछा : ‘‘अरे, अपना नाम तो बताओ ? उसने कहा : ‘‘मेरा नाम कृष्ण है ।”
फिर आपने पूछा : ‘‘आप रहते कहाँ हो ? “
उसने कहा : ‘‘मैं हर किसीके हृदय में रहता हूँ ।”
‘‘मगर तुम्हें मैं बुलाऊँगा कैसे ?”
‘‘तुम हाथ जोड़कर, आँखें बंद करके जब भी भगवान का कोई भी नाम लोगे, मैं आनंद, शांति और सद्बुद्धि के रूप में तुम्हारे पास आ जाऊँगा । “

जब तुम मुझे इस तरीके से रोज बुलाओगे तो तुम अपने-आप को कभी अकेला नहीं पाओगे । आपने भगवान कृष्ण को ही अपना सच्चा मित्र बना लिया । इसके बाद सच में आप जब-जब हाथ जोड़कर आँखें बंद करके उसको बुलाते तो वह तुरंत आपके हृदय में आनंद और शांति के रूप में प्रकट हो जाते और आपका सही मार्गदर्शन करते । आप बहुत खुश हो गये ऐसा सच्चा मित्र पाकर ।

✯ बच्चों से आँखें खुलवाकर बताइयेगा कि ‘ऐसा मित्र आप सबके पास भी है, आप जब उसे इस तरह बुलाओगे तो वह आपको भी हर प्रकार से मदद करेगा और आप हर जगह सफल हो सकते हो ।’

❀ तो बच्चों ! ये मित्र अच्छा है या जो कभी रूठता है, गुस्सा करता है और फिर हमेशा के लिए छोड़कर चला जाता है वह संसारी मित्र अच्छा है ?

गृहकार्य  :  शिक्षक बच्चों को भगवद्गीता के 15 वें अध्याय का पहला और दूसरा श्लोक अर्थसहित याद करवायें । फिर श्लोक देखकर और अर्थ बिना देखें … अपनी ‘बाल संस्कार नोटबुक’ में लिखकर लायें ।

~ बाल संस्कार पाठ्यक्रम