Makar Sankranti 2023 Vrat, Puja Vidhi Samagri, Mantra
- प्रातःकाल तिल का उबटन लगाकर तिलमिश्रित जल से स्नान करें ।
- स्नान के पश्चात् अपने आराध्य-देव की पूजा-अर्चना करें ।
- ताँबे के लोटे में रक्त चंदन, कुमकुम, लाल रंग के फूल तथा जल डालकर पूर्वाभिमुख होकर सूर्य-गायत्री मंत्र से तीन बार सूर्य भगवान को जल दें और सात बार अपने ही स्थान पर परिक्रमा करें ।
सूर्य गायत्री मंत्र [Makar Sankranti Mantra]
ॐ आदित्याय विद्महे भास्कराय धीमहि । तन्नो भानुः प्रचोदयात् ।
- फिर गायत्री मंत्र तथा ‘आदित्यहृदय स्तोत्र‘ का पाठ करें ।
- पक्षियों को अनाज व गाय को घास, तिल, गुड़ आदि खिलायें ।
- ‘पद्म पुराण के अनुसार ‘जो मनुष्य पवित्र होकर भगवान सूर्य के आदित्य, भास्कर, सूर्य, अर्क, भानु, दिवाकर, स्वर्णरेता, मित्र, पूषा, त्वष्टा, स्वयम्भू और तिमिराश – इन 12 नामों का पाठ करता है, वह सब पापों और रोगों से मुक्त होकर परम गति को पाता है ।’
- आज से तिल-तिल दिन बढ़ने लगते हैं, अतः इसे ‘तिल संक्रांति के रूप में भी मनाया जाता है । ‘विष्णु धर्मसूत्र’ में कहा गया है कि पितरों के आत्मा की शांति, स्वयं के स्वास्थ्यवर्धन व सर्वकल्याण के लिए तिल के छः प्रयोग पुण्यदायक एवं फलदायक होते हैं – तिल-जल स्नान, तिल-दान, तिल-भोजन, तिल- जल अर्पण, तिल-आहुति तथा तिल उबटन मर्दन । किंतु ध्यान रखें कि सूर्यास्त के बाद तिल व तिल के तेल से बनी वस्तुएँ खाना वर्जित है ।
- यह पावन पर्व पारस्परिक स्नेह और मधुरता की वृद्धि का महोत्सव है, इसलिए इस दिन लोग एक-दूसरे को स्नेह के प्रतीक तिल और मधुरता का प्रतीक गुड़ देते हैं ।
- इस मकर संक्रांति पर्व पर हम यह संकल्प लें कि आज से हम आपसी मतभेद व वैमनस्य को भुलाकर सत्शास्त्रों व सद्गुरुओं के ज्ञान को आत्मसात् करेंगे और उनके बताये हुए मार्ग पर चलकर शाश्वत सुख, शाश्वत आनंद को पायेंगे ।’
- – लोक कल्याण सेतु, दिसम्बर 2010