Importance of Makar Sankranti (Uttarayan Significance) | Why we Celebrate Makar Sankranti 2025
- इस पर्व को सामाजिक ढंग से देखें तो बड़े काम का पर्व है । किसान के घर नया गुड़, नये तिल आते हैं । उत्तरायण सर्दियों के दिनों में आता है तो शरीर को पौष्टिकता चाहिए । तिल के लड्डू खाने से मधुरता और स्निग्धता प्राप्त होती है तथा शरीर पुष्ट होता है । इसलिए इस दिन तिल-गुड़ के लड्डू (चीनी के बदले गुड़ गुणकारी है) खाये-खिलाये, बाँटे जाते हैं। जिसके पास क्षमता नहीं है वह भी खा सके पर्व के निमित्त इसलिए बाँटने का रिवाज है । और बाँटने से परस्पर सामाजिक सौहार्द बढ़ता है ।
तिळ गुळ घ्या गोड गोड बोला ।
- अर्थात् ‘तिल-गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो । सिंधी जगत में इस दिन मूली और गेहूँ की रोटी का चूरमा व तिल खाया-खिलाया जाता है अर्थात् जीवन में कहीं शुष्कता आयी हो तो स्निग्धता आये, जीवन में कहीं कटुता आ गयी हो तो उसको दूर करने के लिए मिठास आये इसलिए उत्तरायण को स्नेह-सौहार्द वर्धक पर्व के रूप में भी देखा जाय तो उचित है ।
- आरोग्यता की दृष्टि से भी देखा जाय तो जिस-जिस ऋतु में जो-जो रोग आने की सम्भावना होती है, प्रकृति ने उस-उस ऋतु में उन रोगों के प्रतिकारक फल, अन्न, तिलहन आदि पैदा किये हैं । सर्दियाँ आती हैं तो शरीर में जो शुष्कता अथवा थोड़ा ठिठुरापन है या कमजोरी है तो उसे दूर करने हेतु तिल का पाक, मूंगफली, तिल आदि स्निग्ध पदार्थ इसी ऋतु में खाने का विधान है ।
- तिल के लड्डू देने-लेने, खाने से अपने को तो ठीक रहता है लेकिन एक देह के प्रति वृत्ति न जम जाय इसलिए कहीं दया करके अपना चित्त द्रवित करो तो कहीं से दया, आध्यात्मिक दया और आध्यात्मिक ओज पाने के लिए भी इन नश्वर वस्तुओं का आदान-प्रदान करके शाश्वत के द्वार तक पहुँचो ऐसी महापुरुषों की सुंदर व्यवस्था है ।
- सर्दी में सूर्य का ताप मधुर लगता है । शरीर को विटामिन ‘डी’ की भी जरूरत होती है, रोगप्रतिकारक शक्ति भी बढ़नी चाहिए । इन सबकी पूर्ति सूर्य से हो जाती है । अतः सूर्यनारायण की कोमल किरणों का फायदा उठायें ।
- – ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2014