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Holi 2024 date in India Calendar

होलिका दहन

चैत्री पूर्णिमा , कृष्ण पक्ष

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धुलेंडी

कृष्ण पक्ष प्रतिपदा

What is Holy Dahan

होली हुई तब जानिये, श्रुतिवाक्य जल में स्नान हो ।
विक्षेप मल सब जाय धुल, निश्चिन्त मन अम्लान हो ।

हिरण्यकशिपु ने अपने भगवद्भक्त पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए उन्हें जीवित ही चिता में जलाने की योजना बनाई थी क्योंकि वे उनके कहे अनुसार भोग-विलास में नहीं फंसना चाहते थे ।

हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था । चिता में बैठी हुई उस होलिका की गोद में प्रहलाद को बिठा दिया गया और चिता पर आग लगा दी गयी । परन्तु यह क्या ? जिसे न जलने का वरदान प्राप्त था वह होलिका जल गई और प्रहलाद जीवित रह गये । बिल्कुल उल्टा हो गया क्योंकि प्रहलाद सत्य की शरण थे, ईश्वर की शरण थे ।

Holi Dahan

संत कहते हैं कि यह जीव प्रह्लाद है । हिरण्यकशिपु यानी अंधी महत्वाकांक्षा, वासना जो संसार में रत रहने के लिए उकसाती रहती है होलिका यानी अज्ञान, अविद्या जो जीव को अपनी गोद में बिठाकर रखती है तथा उसे संसार की त्रिविध पाप रूपी अग्नि में जलाना चाहती है । यदि यह जीवरूपी प्रह्लाद ईश्वर और सदगुरु की शरण में जाता है तो उनकी कृपा से प्रकृति का नियम बदल जाता है । त्रिविध ताप रूपी अग्नि ज्ञानअग्नि के रूप में परिवर्तित हो जाती है । उस ज्ञान की आग से अज्ञानरूपी होलिका भस्म हो जाती है तथा जीवन रूपी प्रह्लाद मुक्त हो जाता है। यही होली का तत्व है ।

अद्वैत होली का पूरा पाठ पढ़ने या Audio & PDF डाउनलोड करने के लिए

होली रंगों का त्यौहार है । रंग जरूर खेलो, मगर गुरुज्ञान का रंग खेलो । रासायनिक रंगों से तो हर साल होली खेलते हो, इस बार गुरुज्ञान के रंग से अपने हृदय को रँग लो तो तुम भी कह उठोगे :

भोला ! भली होली हुई, भ्रम भेद कूड़ा बह गया ।

नहीं तू रहा नहीं मैं रहा, था आप सो ही रह गया ।।

Holi 2023 Special Sandesh

यह होली का त्यौहार हास्य- विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है । जो हो गया हो… ली… बीत गया सो बीत गया उससे द्वेष मत करो, राग मत करो, उसका जयादा चिंतन मत करो । बीत गया न, भूतकाल है । भविष्य का भय मत करो । वर्तमान में कही फँसो नहीं, आसक्ति करो नहीं । अपने दिल को प्रह्लाद की नाईं रसमय बना दो ।

करोगे हिम्मत ??  उठो, चल पड़ो आत्मसाक्षात्कार की ओर…  !!

संत-महापुरुष की शरण जाकर उनके साथ होली खेलो । उनके रंग में रंग जाओ तो तुम्हारी एक क्षण की होली भी तुम्हें महान व अमर बना देगी ।

भगवतनिष्ठा टिकाए रखने का संदेश देने वाले होलिकोत्सव पर पूज्य बापूजी का संदेश पढ़ें

जीवन में ब्रह्मसुख ले आओ

होली का उत्सव प्रह्लाद के जीवन से भी जुड़ा है । जो पूरे जगत को आह्वादित, आनंदित करने वाला है तथा अपने हृदय में ज्ञान और प्रेम सँजोये है, उसे ‘प्रह्लाद’ कहते हैं । जिसकी आँखों से, जिसकी वाणी से परमात्म-प्रेम छलके, जिसके जीवन से परमात्म-रस छलके, उसी का नाम है ‘प्रह्लाद’ ! तो मैं चाहता हूँ कि आपके जीवन में भी प्रह्लाद आ जाय, ब्रह्मसुख आ जाय ।

4 प्रकार के सुख होते हैं । एक तो संसारी विषय-विकारों का सुख होता है । उसमें संयम से जीये तो ठीक है, वरना अगर काम आदि विकारों का अमर्यादित मजा लिया तो वे ही एड्स की बीमारी और दुनिया भर की बीमारियाँ देते हैं । दूसरा होता है भक्तिभाव, तीर्थयात्रा आदि के पुण्य का सुख । इसमें भी मेहनत तो करनी पड़ती है लेकिन सात्विक सुख है । तीसरा होता है सत्संग सुनकर परमात्मज्ञान में बुद्धि टिक जाय तो शांत सुख । उससे सामर्थ्य आता है, सात्त्विक शक्तियाँ, ईश्वरीय शक्तियाँ विकसित होती हैं । चौथा होता है सत्पुरुषों का सत्संग, दीक्षा लेकर बार-बार संयम-साधना करके अपने सत्-चित्-ब्रह्मस्वभाव को प्रकट करना; यह होता है ब्रह्मसुख ।

Health Tips Holi 2024 Special

होली के बाद 20-25 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमक वाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।

इन दिनों सुबह 20-25 नीम के कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।

होली पर्व में छुपे स्वास्थ्य-सुरक्षा के रहस्य

होली के बाद 20-25 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमक वाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।

इन दिनों सुबह 20-25 नीम के कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।

Dhulandi 2024 Colours Festival

“देहाध्यास की, विकारों की, अहंता-ममता की धूल मिटाने के लिए धुलेंडी उत्सव मनाओ”

होली के अगले दिन धुलेंडी आती है । इस दिन लोग एक-दूसरे पर धूल डालते थे । मुलतानी मिट्टी से नहाया जाता था । धूल का अगर ठीक उपयोग करें तो हाथ मलने में भी काम आती है, चमड़ी को रगड़ने में भी काम आती है ‘यह शरीर धूल से पैदा हुआ है, धूल में जी रहा है और धूल में मिल जायेगा । अतः इसका अहं मत कर ! तेरे पास धन है तो धनदाता का है, रूप और सौंदर्य है तो उस सौंदर्यदाता का है । यह सब तेरे पास उसकी अमानत है । तेरे पास अगर सत्ता है तो उस सत्ताधीश के सहारे यह पतंग उड़ रही है, इसका गर्व न कर ।’

महापुरुषों के इस ज्ञान का स्मरण कर गर्व आदि को अथवा देहाध्यास को धूल में मिलाने के लिए एक-दूसरे पर धूल छिटककर याद दिलाते होंगे कि इस क्रिया के साथ देहाध्यास आदि की धूल उतार दो । जैसे आपके हाथ में मैल होता है और राख लेकर आप हाथ माँजते हैं तो हाथ के मैल को राख ले जाती है, ऐसे ही अगर अंतःकरण में, व्यवहार में आप जीते हैं तो जरूर संसार की सत्यता की थोड़ी धूल आयेगी, तो वर्षभर में एक ऐसा उत्सव हो जिसमें तुम्हारे अंतःकरण में आयी हुई धूल तुमसे न मिटे तो तुम्हारे मित्र तुम पर डालें और तुम मित्र पर डालो । एक-दूसरे के अंतःकरण की, देहाध्यास की, विकारों की, अहंता-ममता की धूल मिटाने के लिए धुलेंडी उत्सव मनाओ । 

– पूज्य संत श्री आशारामजी बापू

How to Make Holi Colours with Flowers at Home

वैदिक और नैसर्गिक होली हमारे ऋषि मुनियों द्वारा दिया गया एक प्राकृतिक उपहार है ! 

अतः इसे प्राकृतिक तरीके से ही मनाएँ । केमिकल रंगों से बचें और पलाश के फूलों से बने रंग, हल्दी पाउडर, बेसन, आँवला पाउडर, मेंहदी आदि का प्रयोग करें ।

घर में बड़े ही आसानी से आप प्राकृतिक रंग बना सकते हैं । कैसे बनाना है ? पढ़ें, नीचे दिए बटन पर क्लिक करके

'यज्ञ मधुसूदन' के अनुसार

एतत्पुष्पं कफं पित्तं कुष्ठं दाहं तृषामपि ।
वातं स्वेदं रक्तदोषं मूत्रकृच्छं च नाशयेत् ।।

ढाक (पलाश) के फूल कुष्ठ (त्वचा-विकार), जलन, वात, पित्त, कफ, प्यास, रक्तदोष एवं मूत्रकृच्छ (सकष्ट मूत्रप्रवृत्ति) आदि रोगों का नाश करने में सहायक हैं ।

Palash Ke Phool se Holi Khele
[Holi with Natural Colours]

होली के बाद सूर्य की किरणें धरती पर सीधी पड़ेंगी तो आपके सप्तरंग और सप्तधातुएँ थोड़ी कम्पायमान होंगी । आपके शरीर में रोगप्रतिकारक शक्ति मजबूत रहे इसलिए इन्हें संतुलित रखने के लिए पलाश के पुष्पों से होली खेलने की व्यवस्था थी ।

दुर्भाग्यवश जब रासायनिक रंगों से होली खेलते हैं तो अभी वैज्ञानिक भी बताते हैं कि उनमें विभिन्न प्रकार के हानिकारक पदार्थ पड़ते हैं जो रोमकूपों के द्वारा तुम्हारे सप्तरंगों को उत्तेजित कर देते हैं और आँखों पर अगर उन रंगों का प्रभाव ज्यादा पड़े तो नजर पर बुरा असर पड़ सकता है, अपने बचाव के साथ-साथ अड़ोस-पड़ोस में भी इस बात का थोड़ा प्रचार कर देना ।

पलाश के रंग से अगर आप होली खेलते हैं तो क्षमा व गम्भीरता का सद्गुण बदेगा, उत्पादन शक्ति का सामर्थ्य बढ़ेगा, स्थिरता बढ़ेगी, वैभव बढ़ेगा, मजबूती और संजीदगी का आपका स्वभाव बढ़ेगा । हृदय-संस्थान और मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होगी । उदासी और उन्माद दूर होगा । अगर आप रासायनिक रंगों से होली खेलते हैं तो इन सारे फायदों से वंचित होकर इसके विपरीत नुकसान होने की सम्भावना है ।

Holi Natural Colors

विदेशों में ऐसे सत्संग नहीं मिलते और लोग ऐसे-वैसे लाल रंगों के उत्तेजक कपड़े पहनते हैं या उत्तेजक दृश्य देखते हैं तो वे बेचारे हिन्दुस्तानियों से ज्यादा बीमार, ज्यादा असहिष्णु और ज्यादा आत्महत्याएँ करके दुःख के भागी बनते हैं । हम तो चाहते हैं कि वे भी बेचारे सुख के भागी बनें और आप भी सुखस्वरूप प्रह्लाद की नाई अपने जीवन में विघ्न-बाधाओं से अप्रभावित रहकर आनंद और माधुर्य में चमकते रहें ।

Holi Special Songs List

To Download Holi Special Songs

Audios Of Holi Special Songs are Available At

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Happy Holi Wishes, Messages, Greetings, Images 2024

Some FAQ’s for Holi 2024

Holi Kab Hai.? [Holi Kitni Tarikh Ko Hai]

24 मार्च

History of holi ?

होली की पूरी कहानि पढ़ने के लिए : – Click Here

How do people celebrate Holi ?

राष्ट्रीय, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से होली कैसे मनाये पढ़ने के लिए : – Click Here

What is Holi and Why it is celebrated

होली क्या है ? और क्यों मनाई जाती है जानें : Click Here

What do they eat on Holi ?

होली के दिन स्वास्थ्य सम्बन्धी साडी जानकारी पढ़ने क लिए : Click Here

What is the meaning of the Holi festival of colors ?

होली क रंगो का महत्व और घर पर ही कैसे बनाये सरे रंग पहड़ने के लिए : Click Here

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Palash

PALASH
RANG

पलाश के फूलों का रंग

You should play Holi, not with chemical colours, but with colours prepared from Palaash flowers and other natural colours.

alashsharbat

PALASH SHARBAT

पलाश शर्बत

Consumption of this sherbet gives instant agility and coolness. It cures diseases caused by Pitta (burning sensation, thirst, etc.).

Multani Mitti

MULTANI
MITTI

मुलतानी मिट्टी

मुलतानी मिट्टी से स्नान करने पर रोमकूप खुल जाते हैं। मुलतानी मिट्टी से रगड़कर स्नान करने से जो लाभ होते हैं उनका एक प्रतिशत लाभ भी साबुन से स्नान करने से नहीं होता।