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मंत्र सिद्धि का अचूक उपाय :- जपमाला पूजा
- शास्त्रों के अनुसार जपमाला जाग्रत होती है, यानी वह जड़ नहीं, चेतन होती है। माना जाता है कि देव शक्तियों के ध्यान के साथ हाथ, अंगूठे या उंगलियों के अलग-अलग भागों से गुजरते माला के दाने आत्मा ब्रम्ह को जागृत करते हैं। इन स्थानों से ‘दैवीय उर्जा’ मन व शरीर में प्रवाहित होती है। इसलिए यह भी देवस्वरूप है, जिससे मिलनेवाली शक्ति या ऊर्जा अनेक दुखों का नाश करती है।
- यही कारण है कि मंत्रजप के पहले जपमाला की भी विशेष मंत्र से स्तुति एवं पूजा करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। आज पूज्य ऋषिवर सद्गुरुदेव संत श्री आशारामजी की प्रेरणा एवं कृपा से हम सबको शास्त्रीय पद्धति से विधिवत माला पूजन एवं स्तुति-प्रार्थना का महापुण्यमय अवसर प्राप्त हुआ है, उसका लाभ लें।
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पूजन के लिए आवश्यक सामग्री
- ➠ थाली: २ ( एक माला पूजन के लिए, दूसरी सामग्री रखने के लिए)
- ➠ कटोरी, चम्मच: २-२ ( अपने उपयोग के लिए एवं पूजन के लिए )
- ➠ पूजा की थाली में पीपल के १० पत्ते, गंगाजल, पंचगव्य, चंदन, कुमकुम, फूल, तुलसी पत्ते, कलावा (मौली), धूपबत्ती, कपूर, माचिस, दीपक, बत्ती (तेल में भिगोई हुई बत्ती), अक्षत।
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पूजा कैसे करें ?
- ➠ पूजा की थाली में पीपल का एक पत्ता बीच में और बाकी आठ को अगल-बगल इस ढंग से रखें कि ‘अष्टदल-कमल’ या ‘आकार’ बने।
- ➠ बीच वाले पत्ते पर अपनी जपमाला, करमाला और पहननेवाली माला रखें।
- ➠ पीपल एवं तुलसी के पत्ते रविवार के दिन नहीं तोड़ते हैं, अतः एक दिन पहले तोड़कर अवश्य रख लें।
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माला-पूजन विधि
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ॐ कार का गुंजन:
- ➠ सभी लोग ७ बार ‘हरि ॐ’ का गुंजन करेंगे।
- ॐ गं गणपतये नमः ।
- ॐ श्री गुरुभ्यो नमः ।
- ॐ श्री सरस्वत्यै नमः।
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः।
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आचमन :
- ➠ निम्न मंत्र पढ़ते हुए तीन बार आचमन करें।
- ॐ केशवाय नमः ।
- ॐ नारायणाय नमः ।
- ॐ माधवाय नमः ।
- ॐ हृषिकेशाय नमः ।
- (यह मंत्र बोलते हुए हाथ धो लें।)
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पवित्रीकरण :
- ➠ आंतरिक व बाह्य शुद्धि की भावना करते हुए बाएं हाथ में जल लेकर दायें हाथ से अपने शरीर पर छांटे।
- ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोsपि वा ।
- य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बहायाभ्यंतर शुचि:।।
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तिलक :
- ➠ सभी लोग तिलक कर लें।
- ॐ गं गणपतये नमः ।
- ॐ चंदनस्य महत्पुण्यं पवित्रं पापनाशनम् ।
- आपदां हरते नित्यं लक्ष्मीः तिष्ठति सर्वदा ।।
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रक्षासूत्र (मौली) बंधन :
- ➠ हाथ में मौली बांधें ।
- येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
- तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।
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संकल्प :
- ➠ हाथ में अक्षत-पुष्प व जल लेकर सभी संकल्प करें-
- ➠ ‘हे माले ! आज रविवारी सप्तमी के पावन दिवस हम तुम्हारी पूजा कर रहे हैं। इस पूजन के प्रभाव से आज से हम तुम्हारे द्वारा जो जप करेंगे, उसका फल अनेक गुना हो जाए। हम सबको साधना में सफलता मिले और ईश्वरप्राप्ति के परम लक्ष्य की ओर तीव्र गति से आगे बढ़ने में हम सफल हों। हे माले ! हमारा तन स्वस्थ रहे, मन प्रसन्न रहे, बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रकट हो और हमारा आत्मविकास हो। हम सब गुरुज्ञान से अपने मुक्तात्मा, महानात्मा स्वरूप को जाने।
- ➠ हे माते ! ‘ पूज्य बापूजी कारागृह से मुक्त हों ‘ इस उद्देश्य से हम तुम्हारे द्वारा ‘ॐ ॐ ॐ बापूजी जल्दी बाहर आयें ‘ इस मंत्र का ५ माला जप करेंगे। तुम हमें हमारे इस उद्देश्य में भी शीघ्र-से-शीघ्र सफलता प्रदान करना।
- ( यह संकल्प थोड़ा-थोड़ा करके बोलें और पीछे-पीछे सभी को बुलवाते जायें। )
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गुरु-स्मरण :
- ➠ हाथ जोड़कर सभी प्रार्थना करेंगे –
- गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
- गुरुर्साक्षात्परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
- ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः पूजामूलं गुरोः पदम् ।
- मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ।
- अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
- तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।
- त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव ।
- त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥
- ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं ।
- द्वन्द्रातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ॥
- एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं ।
- भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
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गणेश जी का स्मरण :
- वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
- निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
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माला-स्नान :
- ➠ माला को स्नान कराने के लिए उस पर जल चढ़ाएं ।
- ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
- नर्मदे सिंधु कावेरी जलेsस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः स्नानं समर्पयामि ।
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पंचगव्य स्नान :
- अब माला को पंचगव्य से स्नान कराएं ।
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः पंचगव्य स्नानं समर्पयामि ।
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शुद्धोदक स्नान :
- माला को पुनः पवित्र जल से स्नान कराएं।
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ।
- ( पवित्र जल से धोने के बाद माला को दूसरी थाली (सामग्री की थाली) में पीपल के एक पत्ते पर रखें। )
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गंध :
- ➠ माला को चंदन व कुमकुम का तिलक करें।
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः गंधं समर्पयामि ।
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पुष्प :
- ➠ सुगंधित पुष्प चढ़ाएं।
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः पुष्पम समर्पयामि ।
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तुलसी :
- ➠ तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः तुलसीदलं समर्पयामि ।
- तुलसी हेमरूपांच रत्नरूपां च मंजरिं ।
- भवमोक्षपदा रम्यामर्पयामि हरिप्रियाम् ।।
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अक्षत :
- ➠ अक्षत चढ़ाएं।
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः अक्षतान् समर्पयामि ।
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धूप: धूप जलाकर दिखाएं।
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः धूपं आघ्रापयामि ।
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इष्ट देव की प्रतिष्ठा :
- ➠ हाथ में पुष्प लेकर हाथ जोड़ें। माला में इष्टदेव की प्रतिष्ठा की भावना से प्रार्थना करें और पुष्प चढ़ाएं।
- अखण्डानन्दबोधाय शिष्यसंतापहारिणे ।
- सच्चिदानन्दरूपाय तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
- तापत्रयाग्नितप्तानां अशांतप्राणीनां भुवि ।
- गुरुरेव परा गंगा तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
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प्रार्थना :
- ➠ हाथ में पुष्प लेकर माला को प्रार्थना करें और पुष्प चढ़ाएं।
- माले माले महामाले सर्वतत्त्व स्वरूपिणी ।
- चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्ततस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥
- ॐ त्वं माले सर्वदेवानां सर्वसिद्धिप्रदा मता ।
- तेन सत्येन मे सिद्धिं देहि मातर्नमोऽस्तु ते ॥
- त्वं माले सर्वदेवानां प्रीतिदा शुभदा भव ।
- शिवं कुरुष्व मे भद्रे यशो वीर्यं च सर्वदा ।।
- ➠ ‘हे माले ! हे महामाले !! आप सर्वतत्व स्वरूपा हैं। आप में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष-ये चारों पुरुषार्थ समाये हुए हैं। इसलिए आप मुझे इनकी सिद्धि प्रदान करने वाली होइये । हे माले ! आप सभी देवताओं को समस्त सिद्धियाँ प्रदान करनेवाली मानी जाती हैं। अतः मुझे सत्य स्वरूप परमात्मा की प्राप्तिरूपी सिद्धि प्रदान कीजिये । हे माते ! मैं आपको प्रणाम करता हूँ। हे माले ! आप मुझे सभी देवताओं तथा परम देव परमात्मा की प्रसन्नता प्रदान करने वाली होइये, शुभ फल देनेवाली होइये। हे भद्रे ! आप सदैव मुझे सत्कीर्ति और बल दीजिये और मेरा कल्याण कीजिये।’
- ➠ इस प्रकार माला का पूजन करने से उसमें परमात्म-चेतना का आविर्भाव हो आता है।
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मंत्रजप :
- ➠ इसके बाद सभी लोग ‘ॐ ॐ ॐ बापूजी जल्दी बाहर आयें।’ इस मंत्र का १ माला जप करेंगे। ( धीमे स्वर में ध्यान का संगीत बजा सकते हैं। )
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माला-समर्पण :
- ➠ जप के बाद माला पकड़ लें और माला गुरुदेव को पहना रहे हों… ऐसी भावना करते हुए अपने गले में धारण कर लें।
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आरती :
- दीपक जलाकर आरती करें।
- ज्योत से ज्योत जगाओ…. (पूरी आरती करें।)
- कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
- सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
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प्रार्थना :
- साधक मांगे मांगना….
- विश्व-कल्याण के लिए हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
- सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
- सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुखभाग्भवेत् ।।
- दुर्जनः सज्जनो भूयात् सज्जनः शांतिमाप्नुयात् ।
- शांतो मुच्येत बंधेभ्यो मुक्तः चान्यान विमोच्येत् ॥
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क्षमा प्रार्थना
- ➠ हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि इस विधि-विधान में, पूजन-पाठ में जाने-अनजाने में कोई भूल हो गयी हो तो हे परमेश्वर ! हमें क्षमा प्रदान करें।’
- ॐ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।
- पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥
- ॐ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
- यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे ।
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जपघोश :
- ‘तं नमामि हरिं परम् ।’
- तीन बार बोलें ।
Mala Pujan
शास्त्रों के अनुसार जपमाला जाग्रत होती है, यानी वह जड़ नहीं, चेतन होती है । माना जाता है कि देव शक्तियों के ध्यान के साथ हाथ, अंगूठे या उंगलियों के अलग-अलग भागों से गुजरते माला के दाने आत्मा ब्रम्ह को जागृत करते हैं । इन स्थानों से ‘दैवीय उर्जा’ मन व शरीर में प्रवाहित होती है । इसलिए यह भी देवस्वरूप है, जिससे मिलनेवाली शक्ति या ऊर्जा अनेक दुखों का नाश करती है ।
यही कारण है कि मंत्रजप के पहले जपमाला की भी विशेष मंत्र से स्तुति एवं पूजा करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है । आज पूज्य ऋषिवर सद्गुरुदेव संत श्री आशारामजी की प्रेरणा एवं कृपा से हम सबको शास्त्रीय पद्धति से विधिवत माला पूजन एवं स्तुति-प्रार्थना का महापुण्यमय अवसर प्राप्त हुआ है, उसका लाभ लें ।
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पूजन के लिए आवश्यक सामग्री [Mala Puja Ke lie Samigri]
- थाली: 2 ( एक माला पूजन के लिए, दूसरी सामग्री रखने के लिए)
- कटोरी, चम्मच: 2-2 ( अपने उपयोग के लिए एवं पूजन के लिए )
- पूजा की थाली में पीपल के 10 पत्ते, गंगाजल, पंचगव्य, चंदन, कुमकुम, फूल, तुलसी पत्ते, कलावा (मौली), धूपबत्ती, कपूर, माचिस, दीपक, बत्ती (तेल में भिगोई हुई बत्ती), अक्षत ।
पूजा कैसे करें ?
- पूजा की थाली में पीपल का एक पत्ता बीच में और बाकी आठ को अगल-बगल इस ढंग से रखें कि ‘अष्टदल-कमल’ या ‘आकार’ बने ।
- बीच वाले पत्ते पर अपनी जपमाला, करमाला और पहननेवाली माला रखें ।
- पीपल एवं तुलसी के पत्ते रविवार के दिन नहीं तोड़ते हैं, अतः एक दिन पहले तोड़कर अवश्य रख लें ।
माला-पूजन विधि [ Mala Puja Vidhi]
ॐ कार का गुंजन:
- सभी लोग 7 बार ‘हरि ॐ’ का गुंजन करेंगे ।
ॐ गं गणपतये नमः ।
ॐ श्री गुरुभ्यो नमः ।
ॐ श्री सरस्वत्यै नमः ।
ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः ।
आचमन :
- निम्न मंत्र पढ़ते हुए तीन बार आचमन करें ।
ॐ केशवाय नमः ।
ॐ नारायणाय नमः ।
ॐ माधवाय नमः ।
ॐ हृषिकेशाय नमः ।
(यह मंत्र बोलते हुए हाथ धो लें ।)
पवित्रीकरण :
- आंतरिक व बाह्य शुद्धि की भावना करते हुए बाएं हाथ में जल लेकर दायें हाथ से अपने शरीर पर छांटे ।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोsपि वा ।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बहायाभ्यंतर शुचि:।।
तिलक :
- सभी लोग तिलक कर लें ।
ॐ गं गणपतये नमः ।
ॐ चंदनस्य महत्पुण्यं पवित्रं पापनाशनम् ।
आपदां हरते नित्यं लक्ष्मीः तिष्ठति सर्वदा ।।
रक्षासूत्र (मौली) बंधन :
- सभी लोग तिलक कर लें।हाथ में मौली बांधें ।
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।
संकल्प :
- हाथ में अक्षत-पुष्प व जल लेकर सभी संकल्प करें-
‘हे माले ! आज रविवारी सप्तमी के पावन दिवस हम तुम्हारी पूजा कर रहे हैं । इस पूजन के प्रभाव से आज से हम तुम्हारे द्वारा जो जप करेंगे, उसका फल अनेक गुना हो जाए । हम सबको साधना में सफलता मिले और ईश्वरप्राप्ति के परम लक्ष्य की ओर तीव्र गति से आगे बढ़ने में हम सफल हों । हे माले ! हमारा तन स्वस्थ रहे, मन प्रसन्न रहे, बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रकट हो और हमारा आत्मविकास हो । हम सब गुरुज्ञान से अपने मुक्तात्मा, महानात्मा स्वरूप को जाने ।
हे माते ! ‘ पूज्य बापूजी कारागृह से मुक्त हों ‘ इस उद्देश्य से हम तुम्हारे द्वारा ‘ॐ ॐ ॐ बापूजी जल्दी बाहर आयें‘ इस मंत्र का 5 माला जप करेंगे । तुम हमें हमारे इस उद्देश्य में भी शीघ्र-से-शीघ्र सफलता प्रदान करना ।
( यह संकल्प थोड़ा-थोड़ा करके बोलें और पीछे-पीछे सभी को बुलवाते जायें । )
गुरु-स्मरण :
- हाथ जोड़कर सभी प्रार्थना करेंगे –
गणेश जी का स्मरण :
वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
माला-स्नान :
- माला को स्नान कराने के लिए उस पर जल चढ़ाएं ।
ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेsस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥
ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः स्नानं समर्पयामि ।
पंचगव्य स्नान :
- अब माला को पंचगव्य से स्नान कराएं ।
शुद्धोदक स्नान :
- माला को पुनः पवित्र जल से स्नान कराएं ।
ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि ।
( पवित्र जल से धोने के बाद माला को दूसरी थाली (सामग्री की थाली) में पीपल के एक पत्ते पर रखें। )
गंध :
- माला को चंदन व कुमकुम का तिलक करें ।
ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः गंधं समर्पयामि ।
पुष्प :
- सुगंधित पुष्प चढ़ाएं ।
तुलसी :
- तुलसी के पत्ते चढ़ाएं ।
ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः तुलसीदलं समर्पयामि ।
तुलसी हेमरूपांच रत्नरूपां च मंजरिं ।
भवमोक्षपदा रम्यामर्पयामि हरिप्रियाम् ।।
अक्षत :
- अक्षत चढ़ाएं ।
ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः अक्षतान् समर्पयामि ।
धूप
- धूप जलाकर दिखाएं ।
ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः धूपं आघ्रापयामि ।
इष्ट देव की प्रतिष्ठा :
- हाथ में पुष्प लेकर हाथ जोड़ें । माला में इष्टदेव की प्रतिष्ठा की भावना से प्रार्थना करें और पुष्प चढ़ाएं ।
प्रार्थना :
- हाथ में पुष्प लेकर माला को प्रार्थना करें और पुष्प चढ़ाएं ।
- इस प्रकार माला का पूजन करने से उसमें परमात्म-चेतना का आविर्भाव हो आता है ।
मंत्रजप :
आरती :
- दीपक जलाकर आरती करें ।
ज्योत से ज्योत जगाओ…. (पूरी आरती करें ।)
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ।।
प्रार्थना :
- साधक मांगे मांगना….
- विश्व-कल्याण के लिए हाथ जोड़कर प्रार्थना करें ।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुखभाग्भवेत् ।।
दुर्जनः सज्जनो भूयात् सज्जनः शांतिमाप्नुयात् ।
शांतो मुच्येत बंधेभ्यो मुक्तः चान्यान विमोच्येत् ॥
क्षमा प्रार्थना
- हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि इस विधि-विधान में, पूजन-पाठ में जाने-अनजाने में कोई भूल हो गयी हो तो हे परमेश्वर ! हमें क्षमा प्रदान करें ।’
ॐ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥
ॐ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे ।
जपघोश :
- ‘तं नमामि हरिं परम् ।’
- तीन बार बोलें ।