पूज्य बापूजी के जीवन प्रेरक-प्रसंग …..

साध्वी रेखा बहन, जिन्होंने 1992 से बापूजी का सान्निध्य पाया है, उनके द्वारा बताया गया पूज्यश्री का मधुर जीवन-प्रसंग :

मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यम् …..

हिसार (हरि.) में एक 14-15 साल के बच्चे के सिर के पूरे बाल झड़ गये थे, गंजा हो गया था । पूज्य बापूजी का वहाँ सत्संग था । वह टोपी पहनकर पूज्यश्री के सामने आया और सिर नीचे करके बैठा था क्योंकि सब लोग उसे ‘गंजा-गंजा’ कह के चिढ़ाते थे ।

बापूजी ने पूछा : ‘‘यह ऐसे मुरझाया हुआ क्यों बैठा है ?”

उसकी मौसी बोली : ‘‘बापूजी ! इसके बाल झड़ गये हैं ।”
‘‘तो क्या हो गया ? बाल तो अपनी खेती है, फिर आ जायेंगे ।”
उस बच्चे ने कहा : ‘‘बापूजी ! नहीं आते हैं । मैं ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (AIIMS), दिल्ली में गया था । वहाँ डॉक्टरों ने इंजेक्शन लगाया तो भी बाल नहीं आये ।”

‘‘अच्छा, टोपी उतार ।”
उसने टोपी उतारी तो पूज्यश्री बोले : ‘‘तू रोज ‘टाल रे टाल, आ जा बाल…’ कहते हुए सिर पर हाथ घुमाया कर ।” और उसको प्रसाद में खजूर देकर कहा : ‘‘ये खाया कर !” और एक तेल बताया, बोले : ‘‘यह तेल लगाया कर, सब बाल आ जायेंगे ।”

उसने बड़ी श्रद्धा से बापूजी द्वारा बताये प्रयोग चालू कर दिये । 2 साल बाद सत्संग हेतु पूज्यश्री हिसार गये । हम लोग आश्रम के द्वार पर ही खड़े थे । बापूजी की गाड़ी आश्रम में प्रवेश कर रही थी और वह लड़का मिठाई लेकर खड़ा था…..
बोला : ‘‘बापूजी ! मिठाई, मिठाई… ।”

पूज्यश्री ने पूछा : ‘‘काहे की मिठाई ?”
‘‘बापूजी ! बाल की मिठाई ।”
‘‘बालों की मिठाई है ! चल, तू अंदर आ आश्रम में ।”

पूज्यश्री थोड़ी देर बाद कुटिया से आये, बोले : ‘‘कौन लड़का बाल की मिठाई ले के आया है ?”
वह आगे आया, बापूजी को दंडवत् प्रणाम करके मिठाई खोली ।
पूज्यश्री बोले : ‘‘क्या बोल रहा है ? काहे के बाल ? काहे की मिठाई ?”

‘‘बापूजी ! 2 साल पहले आपने मुझे मंत्र दिया था : ‘टाल रे टाल, आ जा बाल !’ मैंने इसका खूब जप किया । और सभी बाल आ गये हैं । मेरी माँ ने मन्नत मानी थी कि इसके बाल आयेंगे तो सबसे पहले मिठाई बापूजी को खिलाने जायेंगे ।”

स्वामीजी ने खुशी से पहले उसको प्रसाद दिया फिर कहा : ‘‘जा, पंडाल में जितने साधक बैठे हैं, सबको मिठाई खिला ।”

फिर सबने मिठाई खायी । बापूजी विनोद कर रहे थे : ‘‘यह बाल की मिठाई है, खाओ, खाओ, तुम लोगों को भी बाल आयेंगे ।”

सबको देने के बाद थोड़ी-सी मिठाई बच गयी, वह बापूजी के पास फिर से लेकर गया । बापूजी ने भी उसमें से थोड़ा ले लिया । पूज्यश्री बोले : ‘‘भाई ! बाल की मिठाई खा रहा हूँ ।”

फिर उसने बापूजी से धीरे-से पूछा : ‘‘बापूजी ! हिसार में बहुत गंजे हैं, वे यह मंत्र माँग रहे हैं, दे दूँ क्या ?”

‘‘खबरदार किसी गंजे को मंत्र दिया तो ! वह कोई बाल आने का मंत्र नहीं है । तेरी पुकार हृदय से थी, तू चाहता था कि गुरुजी से मुझे बाल आने का आशीर्वाद मिल जाय तो गुरु ने शुद्ध अंतःकरण से कह दिया । तू किसी गंजे को देगा न, तो उसको बाल नहीं आयेंगे इसलिए किसीको मत देना ।”

शास्त्र कहते हैं :
‘मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं…..’

अर्थात् जिन्होंने उस गुरु-पद, आत्मपद को पाया है, उनकी वाणी ही मंत्र है । उनका एक-एक वचन पूर्ण सत्य होता है ।

~बाल संस्कार पाठ्यक्रम से