मैंने पूज्य बापूजी से २०१० में दीक्षा ली और नर्सरी कक्षा से ही मैं संत श्री आशारामजी गुरुकुल, रायपुर(छ.ग.) में पढ़ रहा हूँ। गुरुकुल में रोज दोपहर १२ बजे संध्या करवायी जाती है जिसमें बुद्धि व यादशक्ति बढ़ाने के प्रयोग जैसे टंक विद्या, भ्रामरी प्राणायाम, ॐकार गुंजन आदि करते हैं जिससे हमारा मन एकाग्र होता है और पढ़ाई में अच्छे नम्बर आते हैं।
प्रतियोगी परीक्षा के लिए मैं एक कोचिंग क्लास में जाता हूँ। वहाँ पर कुछ बच्चे ऐसे आते हैं जो शिक्षक के पढ़ाते समय भी मोबाइल पर चैटिंग करते रहते हैं, शिक्षक भी उनसे परेशान हो जाते हैं। उन्हें देखकर मुझे अपने आप पर गर्व होता है कि मैं बापूजी का शिष्य हूँ, मुझे बापूजी के सत्संग से ही यह ज्ञान मिला है कि किस समय क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए तथा अपने मन पर संयम कैसे रखा जाता है। बापूजी ने आज की युवा पीढ़ी को जो संयम की शिक्षा दी है वह कोई और दे ही नहीं सकता।
– ज्ञानेंद्र साहू (१०वीं, रायपुर गुरुकुल)
गुरुकुल दर्पण
अभिभावकों से – बच्चों को उच्च शिक्षा के साथ उत्तम संस्कार दिलवाने के लिए उन्हें गुरुकुल में प्रवेश जरूर दिलवाएं।