A Short Story From Biography of Kartar Singh Sarabha Freedom Fighter (Kranti Veer/ Swatantrata Senani/ Revolutionary) Independence Day 2021 Special :

➠ सन 1915 में करतार सिंह सराबा, बिहारी आदि क्रांतिकारियों ने पंजाब में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध विद्रोह की एक योजना बनाई और उसके लिए आवश्यक धन जुटाने हेतु एक घर में डाका डाला।

➠ उस घर में एक रूपवती व उसकी मां रहती थी। युवती को देखकर करतार के एक साथी का मन विचलित हो गया और उसने रूपवती का हाथ पकड़ लिया। लड़की घबरा गई और जोर से चिल्लाई । तुरंत तरुण करतार ताने वहां आ पहुंचे और अपने उस साथी के हाथ पर पिस्तौल रख गरजकर बोले:

“पामर ! तेरा अपराध बहुत भीषण है। इसके लिए तुरंत इस युवती के पांव पर सिर रखकर माफी मांग और उधर माता के चरण पकड़ कर कह~ “माता ! मैं इस नीचता के लिए क्षमा चाहता हूं..” फिर अपने मित्र से बोले “यदि वे तूझे क्षमा कर देंगी, तब तो तू जीता, वरना अभी गोली से उड़ा दूंगा।”

➠ वह युवती के पैरों पर सिर रखकर अपने गलती की भीख मांगने लगा । यह देख मां-बेटी की आंखें भर आयीं । मां ने प्यार से करतार सिंह से कहा: “बेटा तुम इतने बड़े होकर डकैती जैसा काम क्यों करते हो ?”

➠ करतार सिंह की भी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा : “मां हम अंग्रेज सरकार के विरुद्ध विद्रोह करने की तैयारी कर रहे हैं । शस्त्र आदि के लिए पैसा कहां से लाएं ? मां ! उसी महान कार्य के लिए आज हम यह नीच कर्म करने को बाध्य हुए हैं।”

➠ मां ने कहा : “इस लड़की की शादी करनी है , उसके लिए रुपए चाहिए कुछ देते जाओ तो बेहतर होगा।” करतार सिंह ने सारा धन उसके सामने रख दिया और कहा:” जितना चाहिए ले लीजिए।” कुछ धन लेकर शेष सभी उस महिला ने करतार की झोली में डाल दिया और आशीर्वाद दिए।

चाहें क्रांतिकारी हो या वैज्ञानिक, विद्यार्थी हो या उद्योगपति जहां भी सफलता या विशेष प्रगति देखने को मिलती है उसके पीछे संयम का बल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में अवश्यमेव होता है । इसी संयम बल के कारण करतार सिंह अंग्रेजों की नाक में दम करने में सफल हुए ।

➠ उनके जीवन के अंतिम क्षण भी बहुत प्रेरणा देने वाले हैं। किसी भी प्रकार से करतार को पकड़ने में असफल साबित हो रही अंग्रेज सरकार ने जब किसी गद्दार की सहायता से उन्हें पकड़कर उन पर मुकदमा चलाया और उन्हें फांसी की सजा सुना दी तो ऐसी तनावपूर्ण परिस्थिति में भी उनके वजन में 10 पौंड ( करीब ४.५ किलो) की बढ़ोतरी पाई गई । १८ वर्ष के वीर करतार सिंह हंसते-हंसते स्वतंत्रता की बेदी पर शहीद हो गए।

~ लोक कल्याण सेतु / जुलाई-अगस्त २००८