★ लाल बहादुर जयंती : २ अक्टूबर

लाल बहादुर शास्त्री जी (Lal Bahadur Shastri) के मामा लगभग रोज मांस खाने के आदी थे ।

कबूतर पालना, उड़ाना और रोज उनमें से एक को मारकर खा जाना उनका नियम था । 

एक दिन वे एक कबूतर को हाथ में लेकर बोले :- ” आज शाम तुम्हारी बारी है । ” 

शाम को सभी कबूतर वापस आ गये पर वह कबूतर नहीं आया । वह खपड़े में छिपा हुआ था ।

मामा ने लाल बहादुर जी को उसे निकालने के लिए कहा :- दयालु हृदय बालक ने कबूतर की प्राण रक्षा का वचन लेकर उसे निकाला लेकिन मामा अपनी बात से मुकर गये और उस कबूतर को मार के पकाकर खा गये ।

यह देखकर लाल बहादुर जी के अंतर्मन में बड़ी पीड़ा हुई । उस दिन उन्होंने भोजन नहीं किया…. दूसरे दिन भी उन्होंने अनशन जारी रखा । 
छोटे से बालक का अनशन देखकर मामा को वेदना हुई । उन्होंने मांसाहार छोड़ने का वचन दिया ।

घर में फिर कभी मांस नहीं बना । सारा घर शाकाहारी बन गया । 

लाल बहादुर जी (Lal Bahadur Shastri)  के पहले सत्याग्रह की यह विजय थी । मानवीय संवेदनाएँ लाल बहादुर जी में बचपन से ही थीं ।

शास्त्री जी में स्वयं कष्ट सहकर भी दूसरे का हित करने की परोपकार भावना दृढ़ थी । 

किसी बड़े पद पर जब ऐसी निःस्वार्थ महान आत्माएँ बैठती हैं, तो उस पद की शोभा बढ़ती है ।

दायित्व सँभालते हुए भी उन्होंने अपनी इन भावनाओं का ध्यान रखा ।

धन्य हैं ऐसे प्रधानमंत्री !!!

➢ संस्कार सरिता साहित्य से…