यह सब पूज्य बापूजी की करुणा-कृपा का परिणाम है, अन्यथा कहाँ तो नकल मारकर पास होने वाला विद्यार्थी और कहाँ आई.ए.एस की कठिन परीक्षा !
पहले में पढ़ने में बहुत कमजोर था । दसवीं की परीक्षा नकल करके पास की, बी.ए. में कृपांक ( ग्रेस मार्क्स ) से पास हुआ।
पढ़ाई के बाद गलत संगत में पड़ गया था तथा शराब आदि पीने लगा। दो-तीन प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लिया पर उसमें फेल हो गया। अंत में घरवालों ने पैसे देने से मना करते हुए कहा :”गांव आकर कोई काम धंधा कर ले।” मैंने विनती करके B.Ed करने की अनुमति माँगी। उसी दौरान मुझे बापूजी का ‘दिव्य प्रेरणा-प्रकाश’, ‘नशे से साधन’ आदि सत्साहित्य पढ़ने को मिला, जिससे बड़ी हिम्मत व मार्गदर्शन मिला। फिर तो मैं बापूजी का सत्संग बड़े ही प्रेम आदर से पढ़ने-सुनने लगा और मेरे जीवन की कई गुत्थियाँ सुलझने लगीं।
कुछ समय बाद मुझे पूज्य बापूजी से दीक्षा लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और मंत्रजप से मेरी स्मरणशक्ति तीव्र हो गई। मैंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और वर्ष 2012 में मेरा चयन
आई.ए.एस हेतु हो गया।
यह सब पूज्य बापूजी की करुणा-कृपा का परिणाम है, अन्यथा कहाँ तो नकल मारकर पास होने वाला विद्यार्थी और कहाँ आई.ए.एस की कठिन परीक्षा !
साथ ही युवावस्था में मैं कई न करने योग्य दुर्गुणों, व्यसनों में फंस गया था उनसे भी मुझे मुक्ति मिल गई।
मैंने अनेक विद्यार्थियों तक बापूजी का वह साहित्य पहुँचाया है, जिसने मेरा जीवन बदल दिया। मैंने 21हजार ‘भगवद्गीता’ व बापूजी का सत्साहित्य बाँटने का संकल्प लिया था और वह भी पूरा हो गया है ।
-राकेश चौधरी
असिस्टेन्ट कलेक्टर(P)
दिल्ली
~जून २०१४/ऋषि प्रसाद