▪ गीता की शरण लेकर गाँधीजी ने अंग्रेजों को भगाया । अगर वेदव्यासजी की कृपा नहीं होती तो गाँधीजी भारत को आजाद भी नहीं करा सकते थे । आपकी आजादी के पीछे भी व्यासजी की कृपा-प्रसादी भगवद्गीता का सीधा हाथ है । स्वतंत्रता सेनानियों को जब फाँसी की सजा दी जाती थी, तब गीता के श्लोक बोलते हुए वे हँसते-खेलते फाँसी पर चढ़ जाते थे ।

▪ अंग्रेजों ने कहा कि ‘भारतवासी आजादी चाहते हैं ।’ उनका दमन करो । पकड़- पकड़ के 5-10 को फाँसी के तख्त पर लटका दो, अपने-आप चुप हो जायेंगे ।
फिर अंग्रेजों ने पूछा : ‘अभी ये दबे कि नहीं दबे ? फाँसी पर लटकने से दूसरे भाग गये कि नहीं भागे ?’

‘अरे ! वे तो और भी शेर बन गये । चीते भी शेर बन गए ! हिरण भी शेर बन गये ! इनके यहाँ तो… क्या बात है ?’

▪ गीता सुनकर कई हँसते-हँसते फाँसी पर चढ़ जाते हैं। गीता का ज्ञान है इनके पास-
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।

‘इस आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकते, इसको अग्नि जला नहीं सकती, इसको जल गला नहीं सकता और वायु सुखा नहीं सकती ।’ (गीता : 2.23)

▪ इस गीता ज्ञान को पाकर स्वतंत्रता सेनानी कहते हैं : “हम भारत माता को आजाद करा देंगे । अस्त्र-शस्त्र से मरे वह मैं नहीं हूँ । शरीर मरने वाला है, मैं अमर आत्मा हूँ । ॐ ॐ ॐ… विट्ठल-विट्ठल-विट्ठल… हरि-हरि…” इस प्रकार भगवान के नाम का गुंजन करते-करते फाँसी को गले लगा के जब ये शहीद हो जाते हैं तो दूसरे तैयार हो जाते हैं ।

▪ एक जाता है तो उस इलाके में बीसों बहादुर खड़े हो जाते हैं । अंग्रेजों ने कहा : ‘गीता के ज्ञान में ऐसा है तो गीता पर बंदिश लगा दो और गीता का ज्ञान जिसने बोला है उसको जेल में डाल दो ।’

गीताकार श्रीकृष्ण को अंग्रेज कहाँ से जेल में डालेंगे ? और गीता पर बंदिश आते ही गीता का और प्रचार हुआ । देशवासियों का हौसला बुलंद हुआ । पूरे देश पर कृपा है वेदव्यासजी की, कि उन्होंने गीता जैसा ग्रंथरत्न हमें प्रदान किया, जिसने देश को स्वतंत्र बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है । देशवासी व्यास भगवान को नहीं मानते हैं तो गुणचोर हैं, बेईमान हैं । अगर कृतज्ञता है तो प्रणाम करना चाहिए व्यास भगवान को ।

नमोऽस्तु ते व्यास विशालबुद्धे फुल्लारविन्दायतपत्रनेत्र ।
येन त्वया भारत तैलपूर्णः प्रज्वालितो ज्ञानमयः प्रदीपः ।।

‘विशाल बुद्धिवाले, खिले हुए मुखकमल वाले एवं तपस्यारूपी तीन नेत्रों वाले आप भगवान वेदव्यासजी को नमस्कार है, जिनके द्वारा महाभारत रूपी तेल से पूर्ण ज्ञानमय प्रदीप प्रज्ज्वलित किया गया है ।’

▪ युग-युग में व्यासजी अवतार लेते हैं । ऐसे जो भी व्यास धरती पर हों अथवा अपनी महिमा में कहीं हों, जो भी ब्रह्मज्ञानी महापुरुष हैं, व्यास भगवान हैं, उनको हम लोग फिर से प्रणाम करते हैं । हे महापुरुषों ! हम आपके ऋणी हैं ।

– पूज्य बापूजी

~बाल संस्कार पाठ्यक्रम से…