गुरु-सन्देश- प्यारे विद्यार्थियों ! तुम भावी भारत के भाग्य-विधाता हो ।अतः अभी से अपने जीवन में सत्यपालन,ईमानदारी, संयम,सदाचार,न्यायप्रियता आदि गुणों को अपनाकर अपना जीवन महान बनाओ ।
एक विद्यालय के शिक्षक ने एक दिन कक्षा के सभी छात्रों को गणित के कुछ सवाल घर से हल करके लाने को कहा। सभी छात्रों ने घर में किसी-न-किसी की सहायता से सवाल हल किये,लेकिन उनमें से एक लड़के ने सभी सवाल स्वयं हल किये पर एक सवाल में वह भी उलझ गया । अंततः उसने भी एक मित्र की सहायता ली ।
अगले दिन अध्यापक ने सभी छात्रों की कॉपी जाँचने पर केवल उसी लड़के के सभी सवाल सही पाये, बाकि के छात्रों के सवालों में कुछ-न-कुछ गलतियाँ थीं ।
अध्यापक उस लड़के पर बहुत प्रसन्न हो उसकी प्रशंसा करते हुए पूरी कक्षा को उससे प्रेरणा लेने को कहा । साथ ही उस लड़के को अपनी कलम पुरुस्कारस्वरूप देने लगे किंतु उस लड़के ने पुरुस्कार तो नहीं लिया,उलटा रोने लगा।
अध्यापक के पूछने पर वह बोला : “आचार्य जी! इनमें से एक सवाल मैने अपने मित्र की सहायता से हल किया है,फिर मैने स्वयं सारे सवालों को हल कहाँ किया ! मैने तो आपको धोखा दिया। अतः मुझे पुरुस्कार नहीं दण्ड दीजिये ।”
अध्यापक लड़के की सच्चाई से खुश होकर बोले :”अब यह इनाम मै तुम्हें तुम्हारी सच्चाई के लिए देता हूँ । वही बालक आगे चलकर प्रसिद्ध समाज सुधारक गोपालकृष्ण गोखले के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
सीख :- सत्य हमारे जीवन को चमका देता है। सत्य बोलने से जीवन सरल,चिंतामुक्त और निर्दोष बन जाता है । फिर वह व्यक्ति सबका प्यारा और सबके लिए आदर्श बन जाता है । ऐसे सत्यनिष्ठ और ईमानदार बालक ही आगे चलकर महान कार्य कर पाते हैं।
संकल्प – हम भी हमेशा सच बोलेंगे।
अभिभावकों से- बच्चे ने अपना विद्यार्थी-जीवन काल सँभाल लिया तो उसका भावी जीवन भी सँभल जाता है क्योंकि बाल्यकाल के संस्कार ही बच्चे के जीवन की आधारशिला है ।
~लोक कल्याण सेतु/मार्च 2011