Adi Shankaracharya Biography Story in Hindi: श्रीमद् आद्यशंकराचार्य उच्चकोटि के ब्रह्मनिष्ट संत थे ।एक दिन वे उत्तरकाशी में अपने शिष्यों को  ‘ब्रह्मसूत्र भाष्य’ (शारीरिक सूत्र-भाष्य) पढ़ा रहे थे । तभी वहाँ एक वृद्ध ब्राह्मण आये । उन्होंने सेवकों से पूछा : “यहाँ कौन-सी प्रवृत्ति होती है ?”

सेवक बोले : यह हमारे गुरुजी भगवान शंकराचार्य का आश्रम है । यहाँ हमारे गुरुजी हमें ‘ब्रह्मसूत्र’ पढ़ाते है । उसका अर्थ समझाते हैं और व्याख्या करते हैं ।”

ब्राह्मण बोले : “कलियुग में ब्रह्मसूत्र ! उसकी व्याख्या करते हैं ? उसका अर्थ समझाते हैं ।
“हाँ ।”
“अच्छा ! हमें भी थोड़ा समझा देंगे तुम्हारे गुरुजी तो हमें बड़ा आनंद होगा ।”
“तो आइये हमारे साथ ।”

वे ब्राह्मण वेशधारी पुरुष बड़े महान आत्मा थे । वे शंकराचार्यजी के पास जाकर बोले : “मुझे ब्रह्मसूत्र के विषय मे कुछ शंकाए हैं, आप उनका समाधान कीजिये ।”

शंकराचार्यजी बोले : “पूछिये ब्राह्मणदेव !”

“अच्छा, बताइये तो तृतीय अध्याय के प्रथम पाद के प्रथम सूत्र का तात्पर्य क्या है ?”
शंकराचार्यजी ने उस सूत्र की उत्तम व्याख्या की । उस उत्तर में से और प्रश्न उठा और ब्राह्मण ने फिर से पूछा ।

आचार्य ने तत्काल उसका यथायोग्य उत्तर दे दिया । ब्राह्मण ने पुनः प्रश्न उठाया । आचार्य ने उसका भी जवाब दे दिया ।

ब्राह्मण एक के बाद एक प्रश्न करते जा रहे थे और शंकराचार्यजी उनका उत्तर देते जा रहे थे ।
सात दिन तक यह प्रश्नोत्तर चला और वे संतुष्ट होकर बोले : “आपसे मुझे मेरे ब्रह्मसूत्र से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर ठीक-से मिल गए हैं । आप ब्रह्मसूत्र ठीक-से समझे हैं, मैं आप पर प्रसन्न हूँ ।”

उस वृद्ध ब्राह्मण ने आशीर्वाद देते हुए अपना वास्तविक रूप प्रकट कर दिया । शंकराचार्यजी ने उनके चरणों मे सिर झुकाया और बोले : “भगवान श्री वेदव्यासजी ! आप……”

व्यासजी बोले : “पुत्र ! तुम्हारा आयुष्य पूरा होने को है । सोलह वर्ष की उम्र है तुम्हारी । मै सोलह वर्ष तुम्हारी उम्र और बढ़ा देता हूँ ।”

आद्य शंकराचार्यजी का शरीर और सोलह साल तक रहा । वैदिक संस्कृति मानवमात्र का कल्याण करने में समर्थ है । उसका प्रचार करनेवाले इन महान आत्मा का 16 वर्ष आयुष्य बढ़ाकर भगवान व्यासजी ने भारत पर ही नहीं, बल्कि समस्त मानव समाज पर महान उपकार किया है ।