एक महीने तक किये हुए जप-तप से चित्त की जो योग्यता बनती है, वह एक बार क्रोध करने से नष्ट हो जाती है।
– संत श्री आशारामजी बापू
घर में चोरी हो जाय तो कुछ न कुछ सामान बच जाता है लेकिन आग लगे तो सब भस्मीभूत हो जाता है। इसी प्रकार हमारे अंतःकरण में काम, मोह, लोभ, अहंकाररूपी चोर आयें तो कुछ पुण्य क्षीण होते हैं लेकिन क्रोधरूपी आग लगे तो हमारा तमाम जप, तब, पुण्यरूपी धन भस्म हो जाता है। अतः सावधान होकर क्रोधरूपी भस्मासुर से बचो।
क्रोध से कैसे बचें ??
25 मिनट तक चबा-चबाकर भोजन करो। सात्त्विक आहार लो।
लहसुन, लाल मिर्च और तली हुई चीजों से दूर रहो। क्रोध आये तब हाथ की उँगलियों के नाखून हाथ की गद्दी पर दबें, इस प्रकार मुट्ठी बंद करो।
एक गिलास पानी, तुलसी के पत्ते, दस ग्राम शहद और संतकृपा चूर्ण मिलाकर बनाया हुआ शरबत यदि हर रोज सुबह लिया जाय तो चित्त की प्रसन्नता बढ़ती है। चूर्ण और तुलसी न मिले तो केवल शहद ही लाभदायक है। मधुमेह (डायबिटीज) के रोगियों को शहद नहीं लेना चाहिए। वे अंगूर या किशमिश ले सकते हैं क्योंकि ये मधुमेह में हानि नहीं करते बल्कि बल देते हैं।