Best Sleeping Positions for Baby/ Kids [Is it Good Or Bad : Baby Sleeping On Tummy/ Stomach?] :
(१) कुछ बच्चे पेट के बल सीधे सोते हैं । अपने दोनों हाथ ढीले छोड़कर चेहरे या पेट पर रख लेते हैं ।
यह सोने का सबसे अच्छा और आदर्श तरीका है । प्रायः इस प्रकार सोने वाले बच्चे अच्छे स्वास्थ्य के स्वामी होते हैं । न कोई रोग और न कोई मानसिक चिंता । इन बच्चों का विकास अधिकतर रात्रि में ही होता है ।
(२) कुछ बच्चे सोते वक्त अपने दोनों हाथ उठा कर सिर पर रख लेते हैं । इस प्रकार शांति और आराम प्रदर्शित करने वाला बच्चा अपने वातावरण से संतोष और शांति चाहता है । अतः बड़े होने पर उसे किसी जिम्मेदारी का काम एकदम न सौंप दें क्योंकि ऐसे बच्चे प्रायः कमजोर संकल्पशक्ति वाले होते हैं । उन्हें बचपन से ही अपना काम स्वयं करने का अभ्यस्त बनाएं ताकि धीरे-धीरे उनके अंदर संकल्प शक्ति और विश्वास पैदा हो जाए ।
(३) कुछ बच्चे पेट के बल लेट कर अपना मुंह तकिए पर इस प्रकार रख लेते हैं मानो तकिए को चुंबन कर रहे हों । यह स्नेह का प्रतीक है । उनकी यह चेष्टा बताती है कि बच्चा स्नेह का भूखा है । वह प्यार चाहता है । उससे खूब प्यार करें, प्यार भरी बातों से उसका जी बहलाएं । उसको प्यार की दौलत मिल गई तो उसकी इस प्रकार सोने की आदत अपने आप दूर हो जाएगी ।
(४) कुछ बच्चे तकिए से लिपट कर या तकिए को सिर पर रख कर सोते हैं । यह बताता है कि बच्चे के मस्तिष्क में कोई गहरा भय बैठा हुआ है । बड़े प्यार से यह छुपा हुआ भय जानने और उसे दूर करने का शीघ्रताशीघ्र प्रयत्न करें ताकि बच्चे का उचित विकास हो । किसी सद्गुरु से प्रणव का मंत्र दिलाकर जाप कराएं ताकि उसका भावी जीवन किसी भय से प्रभावित न हो ।
(५) कुछ बच्चे करवट हो दोनों पाँव मोड़ कर सोते हैं । ऐसे बच्चे अपने बड़ों से सहानुभूति और सुरक्षा के अभिलाषी होते हैं । स्वस्थ और शक्तिशाली बच्चे भी इस प्रकार सोते हैं । उन बच्चों को बड़ों से अधिक स्नेह और प्यार मिलना चाहिए ।
(६) कुछ बच्चे तकिए या बिस्तर की चादर में छुप कर सोते हैं । यह इस बात का संकेत है कि वे लज्जित हैं । अपने वातावरण से प्रसन्न नहीं हैं । घर में या बाहर उनके मित्रों के साथ कुछ ऐसी बातें हो रही हैं जिनसे वे संतुष्ट या प्रसन्न नहीं हैं । उनसे ऐसा कोई शारीरिक दोष, कुकर्म या कोई ऐसी छोटी मोटी गलती हो गई है जिसके कारण वे मुंह दिखाने के लायक नहीं हैं । उनको उस ग्लानि से मुक्त कीजिए । उनको चारित्र्यवान और साहसी बनाइए ।
(७) कुछ बच्चे तकिया, चादर और बिस्तर तक रौंद डालते हैं । कैसी भी ठंडी या गर्मी हो, वह बड़ी कठिनाई से रजाई या चादर आदि ओढ़ना सहन करते हैं । वह एक जगह जमकर नहीं सोते, पूरे बिस्तर पर लोटपोट होते हैं । पूरे बिस्तर को अखाड़ा बना देते हैं, मानो बिस्तर से कुश्तीबाज़ी करते हैं ।
ऐसे बच्चों को किसी भी प्रकार की चिंता नहीं होती । उनमें संकल्प शक्ति अधिक होती है । वे कुछ जिद्दी भी होते हैं । माता-पिता और अन्य लोगों पर अपना हुकुम चलाने का प्रयत्न करते हैं । ऐसे बच्चे दबाव में या जबरदस्ती कोई काम नहीं करेंगे । बहुत ही स्नेह से, युक्ति से उनका सुधार होना चाहिए ।
(८) कुछ बच्चे तकिए या चादर से अपना पूरा शरीर ढक कर सोते हैं । केवल एक हाथ बाहर निकालते हैं । यह इस बात का प्रतीक है कि बच्चा घर के ही किसी व्यक्ति या मित्र आदि से सख्त नाराज रहता है । वह किसी भीतरी दुविधा का शिकार है । ऐसे बच्चों का गहरा मन चाहता है कि कोई उनकी बातें और शिकायतें बैठकर सहानुभूति से सुने, उनकी चिंताओं का निराकरण करे ।
ऐसे बच्चों के गुस्से का भेद प्यार से मालूम कर लेना चाहिए, उनको समझा बुझाकर उनकी रुष्ठता दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए । अन्यथा ऐसे बच्चे आगे चलकर बहुत भावुक और क्रोधी हो जाते हैं, जरा-जरा सी बात पर भड़क उठते हैं ।
वे बच्चे चबा-चबाकर भोजन करें ऐसा ध्यान रखना चाहिए । गुस्सा आए तब हाथ की मुट्ठियाँ इस प्रकार भिंच देना चाहिए ताकि नाखूनों का बल हाथ की गद्दी पर पड़े …. ऐसा अभ्यास बच्चों में डालना चाहिए । ‘ॐ शांतिः शांतिः ….’ का पावन जप करके पानी में दृष्टि डालें और वह पानी उन्हें पिलाएं । बच्चे स्वयं यह करें तो अच्छा है, नहीं तो आप ही करें ।
संसार के सभी बच्चे इन 8 तरीकों से सोते हैं । हर तरीका उनकी मानसिक स्थिति और आंतरिक अवस्था प्रकट करता है । माता-पिता उनकी अवस्था को पहचानकर यथोचित उनका समाधान कर दें तो आगे चलकर ये ही बच्चे सफल जीवन बिता सकते हैं ।