Drugs, Tabacco, Alcohol, Cigarette Mukt Samaj: नशा क्या है….. ? संत श्री आशारामजी बापू कहते हैं : “जिसमें शांति न हो उसे ‘नशा’ कहते हैं ।”

गुटखा, बीड़ी, दारू या कोई भी व्यसन तन-मन को भयंकर हानि पहुंचाते हैं ।

इनसे इच्छाशक्ति दुर्बल होती है । मनुष्य देवता जैसा बनने के बदले पशु से भी बदत्तर बन जाता है । इनके चंगुल से मुक्त होने में ही सार है |

नशा व्यक्ति को खोखला कर देता है ।

शराब, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तम्बाकू आदि से शरीर, मन, बुद्धि व संकल्पशक्ति के साथ रोगप्रतिकारक शक्ति भी क्षीण हो जाती है ।

इससे शरीर कई प्रकार के रोगों का घर बन जाता है, बहुत से लोग तो अकाल मृत्यु के भी शिकार हो जाते हैं ।

यह बात नशा करने वाले को पता तो है परंतु गंदी आदत की ललक के आगे संकल्पबल कमजोर पड़ने से वह व्यसन छोड़ नहीं पाता ।

ऐसी स्थिति से निकलने के लिए संतों-महापुरुषों की शरण में जाना ही एकमात्र उपाय है ।

वे सामर्थ्य, सद्भाव और शुभ संकल्प के अक्षय भंडार होते हैं ।

उनकी मीठी नजर पड़ने पर असाध्य लगने वाले कार्य भी सरलता से हो जाते हैं ।