मिठाइयाँ व फास्ट फूड का शौक कुप्रवृत्तियों का कारण है। डॉ. ब्लोच लिखते हैं कि “मिठाई का शौक जल्दी कुप्रवृत्तियों की ओर प्रेरित करता है।”
जो बच्चे मिठाई के ज्यादा शौकीन होते हैं उनके पतन की ज्यादा सम्भावना रहती है और दूसरे बालकों की अपेक्षा वे हस्तमैथुन जैसे कुकर्मो की ओर जल्दी खिंच जाते हैं तो बल व ओज-तेज के रक्षण हेतु कितना जरूरी है मिठाइयों से बचना!
मैदा और प्राणिज वसा (एनिमल फैट) के संयोग से बननेवाले बेकरी के पदार्थ जैसे विभिन्न प्रकार के ब्रेड, बिस्कुट, पाव, नानखटाई, पीजा, बर्गर आदि एवं बेकिंग पाउडर डाल के बनाये जानेवाले पदार्थ जैसे – नूडल्स आदि तथा सैकरीन से बनाये गये बाजारू पदार्थ जैसे आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स, शरबत आदि तथा मिठाइयाँ ये सब खाने में तो स्वादिष्ट लगते हैं परंतु स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं ।
पाचन में अत्यंत भारी ऐसे पदार्थ व मिठाइयाँ खाने से कब्ज एवं मंदाग्नि होती है, जो सब रोगों का मूल है। मंदाग्नि होने से सातवीं धातु ( वीर्य ) कैसे बन सकती है ?
अतः अंत में नपुंसकता आ जाती है!
ये पदार्थ बल, बुद्धि और स्वास्थ्य के नाशक, रोगकारक एवं तमोगुण बढ़ानेवाले होते हैं। अतः इनसे आप भी बचें, औरों को भी बचायें।