Hemant Ritu 2022 - 23 अक्टूबर से 20 दिसम्बर
- यह ऋतु विसर्गकाल अर्थात् दक्षिणायन का अन्तकाल कहलाती है ।
- इस काल में चन्द्रमा की शक्ति सूर्य की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती है इसलिये इस ऋतु में औषधियाँ, वृक्ष, पृथ्वी व जीव-जन्तुओं की पौष्टिकता में भरपूर वृद्धि होती है । शीत ऋतु में शरीर में कफ का संचार होता है तथा पित्तदोष का नाश होता है ।
- शीत ऋतु में जठराग्नि अत्यधिक प्रबल रहती है अतः इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज, बल और पुष्टता प्रदान करता है । इस ऋतु में एक स्वस्थ व्यक्ति को अपनी सेहत की तन्दुरुस्ती के लिये किस प्रकार का आहार लेना चाहिए ? शरीर रक्षण कैसे हो ? आइये, हम उसे जानें :-
- शीत ऋतु के इस काल में खट्टा, खारा तथा मधुर रसप्रधान आहार लेना चाहिए ।
- पचने में भारी, पौष्टिकता से भरपूर, गरिष्ठ एवं घी से बने पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ।
- इस ऋतु में सेवन किये हुए खाद्य पदार्थों से ही वर्ष भर शरीर की स्वस्थता की रक्षा का भंडार एकत्रित होता है । अतः उड़दपाक, सोंठपाक जैसे बाजीकारक पदार्थों अथवा च्यवनप्राश आदि का उपयोग करना चाहिए ।
- जो पदार्थ पचने में भारी होने के साथ-साथ गरम व स्निग्ध प्रकृति के होते हैं, ऐसे पदार्थ लेने चाहिए ।
- दूध, घी, मक्खन, गुड़, खजूर, तिल, खोपरा, सूखा मेवा तथा चरबी बढ़ानेवाले अन्य पौष्टिक पदार्थ इस ऋतु में सेवन करने योग्य माने जाते हैं ।
- इन दिनों में ठंडा भोजन नहीं करना चाहिए बल्कि थोड़ा गर्म एवं घी-तेल की प्रधानता वाला भोजन करना चाहिए ।
- – लोक कल्याण सेतु, दिसम्बर 2000