Know Laughter Yoga (Hasya Yog) Importance/ Benefits in Hindi :Laughter Yoga  increases Self Confidence/ Atma vishwas.

‘ऋग्वेद’ में आता है..~

“विश्वाहा वयं सुमनस्यमानाः ।”

‘हम सदा ही अपने को प्रसन्न रखें ।’ 

➠  खुशी जैसी खुराक नहीं और चिंता जैसा गम नहीं। भगवन्नाम या ॐकार आदि के उच्चारण के साथ हास्य करने से बहुत सारी बीमारियाँ मिटती हैं और रोग-प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है । हास्य आपका आत्मविश्वास बढ़ाता है ।

➠ एक होता है ‘लाफिंग क्लब’ वाला असुर-दानव हास्य, जो हू-हू… हा-हा… करके किया जाता है ।

➠ दूसरा होता है देव-मानव हास्य, जिसमें पहले तालियाँ बजाते हुए भगवन्नाम के जल्दी-जल्दी उच्चारण के द्वारा पापनाशिनी शक्ति को उभारा जाता है और भगवद्भाव को बढ़ाया जाता है, फिर दोनों भुजाओं को ऊपर उठाकर भगवत्समर्पण के भाव के साथ हास्य किया जाता है । असुर-दानव हास्य से शारीरिक लाभ होते हैं किंतु देव-मानव हास्य से शारीरिक लाभ के साथ-साथ आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों लाभ होते हैं ।

➠ असुर-दानव हास्य में गर्भवती महिला के लिए गर्भपात, हृदयरोग के मरीज के लिए हृदयाघात जैसे कुछ खतरे हैं, देव-मानव हास्य में कोई खतरा नहीं है ।
इस हास्य में सबकी भलाई निहित होती है ।

➠ पूज्य बापू जी अपने सत्संग कार्यक्रमों में हरिनाम उच्चारण के साथ ʹदेव-मानव हास्य-प्रयोग कराते हैं। पूज्य श्री का कहना हैः “भारतीय संस्कृति की देन ʹदेव-मानव हास्यʹ को ही पाश्चात्य जगत ने विकृत रूप देकर ʹलाफिंग क्लबोंʹ के द्वारा प्रचारित किया है।.

➠ ʹलाफिंग क्लबोंʹ में हँसने की जबरन कोशिश की जाने के कारण उसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है, जबकि हरि का नाम लेकर स्वयं को ईश्वरीय आनंद से सराबोर करके स्वतः स्फुरित होने वाला ʹदेव-मानव हास्यʹ यकृत, गुर्दे, हृदय तथा गर्भाशय की कई बीमारियों को दूर करता है व वातावरण को हरिमय एवं उल्लासमय बनाता है।

➠ हास्य को सदियों से ही शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का महत्त्वपूर्ण साधन माना गया है। दिन की शुरुआत में कुछ समय हँसने से आप दिन भर स्वयं को तरोताजा एवं ऊर्जा (स्फूर्ति) से भरपूर अनुभव करेंगे।

▣ देव-मानव हास्य-प्रयोग के लाभ 

➠ हास्य से फेफड़ों का बढ़िया व्यायाम हो जाता है, श्वास लेने की क्षमता बढ़ जाती है, रक्त का संचार कुछ समय के लिए तेज हो जाता है और शरीर में लाभकारी परिवर्तन होने लगते हैं।

➠ हँसने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अतः हँसकर फिर भोजन करने से वह शीघ्रता से पच जाता है। खूब हँसने से रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा एवं वीर्य की वृद्धि होती है। 

➠ चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष आदि विषाक्त मनोभावों से हमारे शरीर में जिन विषों की उत्पत्ति होती रहती है, हास्य उनका परिशोधक है।

हँसते के साथ हँसे दुनिया,
रोते को कौन बुलाता है

❀ पूज्य बापू जी के शब्दों में-

मुस्कराकर गम का जहर जिसको पीना आ गया।
यह हकीकत है कि जहाँ में उसको जीना आ गया।।

➠ जो अति दुःखी रहते हैं, जिनके लिए हँसना कठिन है, उनके लिए पूज्य बापू जी ने कहा हैः ʹʹनाक से 12 से 15 खूब गहरे श्वास लें और मुँह से छोड़ें। श्वास लेते समय ʹरामʹ व छोड़ते समय ʹकृष्णʹ की भावना करें तो विशेष लाभ होगा और प्रेमावतार, प्रसन्नतादाता की कृपा का अनुभव सहज में ही होगा।

➠ इस प्रयोग से उदास चेहरे वाला भी हँसमुख बन जायेगा और प्रसन्नता, खुशी उसके अपने घर की खेती हो जायेगी।”

~  लोक कल्याण सेतु, नवम्बर 2011