मनुष्य के दाँतों व आँतों की रचना व कार्यप्रणाली शाकाहार के ही अनुकूल है, मांसाहार के नहीं।
वैज्ञानिकों ने इस बात को सिद्ध किया है कि मरते समय पशुओं में उत्पन्न भय, कम्पन, चीत्कार तथा उनमें उपस्थित विषाक्त पदार्थ, बीमारियाँ व उनकी हिंसक प्रवृत्तियाँ मांस रखने वालों के तन व मन पर गहरा कुप्रभाव डालती हैं। ʹविश्व स्वास्थ्य संगठनʹ ने मांसाहार से होने वाली 160 बीमारियों के नाम प्रमाणित किये हैं।
मांसाहारी व्यक्ति कब्ज, गैस, बवासीर व सिरदर्द से पीड़ित रहते हैं। मांसाहार से मिर्गी, कैंसर, हृदयरोग, चर्मरोग, पथरी व गुर्दे-संबंधी अनेक बीमारियाँ होती हैं। तनाव, क्रोध, आवेग, आपराधिकता, कामुकता आदि मानसिक रोग घेर लेते हैं। जबकि शाकाहार से सत्त्वगुण की वृद्धि होती है, जिससे प्रसन्नता, स्फूर्ति प्राप्त होती है।
हरी सब्जियाँ, फलों, अनाज आदि से पर्याप्त पोषक तत्त्व मिलने से रोगग्रस्त होने की सम्भावना कम होती है।