● बैठकर ( या पंगत में ) भोजन करने से लाभ…
➠ इसे ‘दैवी भोजन पद्धति’ कहा जाता है ।
➠ इसमें पैर, पेट व आँतों की उचित स्थिति होने से उन पर तनाव नहीं पड़ता ।
➠ इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, अन्न का पाचन सुलभता से होता है ।
➠ हृदय पर भार नहीं पड़ता ।
➠ आयुर्वेद के अनुसार भोजन करते समय पैर ठंडे रहने चाहिए । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होने में मदद मिलती है । इसलिए हमारे देश में भोजन करने से पहले हाथ पैर धोने की परम्परा है ।
➠ पंगत में एक परोसने वाला होता है,जिससे व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार भोजन लेता है । उचित मात्रा में भोजन लेने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है व भोजन का भी अपमान नहीं होता ।
➠ भोजन परोसने वाले अलग-अलग होते हैं जिससे भोजन पात्रों को जूठे हाथ नहीं लगते । भोजन तो पवित्र रहता ही है साथ ही खाने-खिलाने वाले दोनों का मन आनंदित रहता है ।
➠ शांतिपूर्वक पंगत में बैठकर भोजन करने से मन में शांति बनी रहती है, थकान-उबान भी महसूस नहीं होती ।
➢ ऋषि प्रसाद – अंक 256