Supta Vajrasana Step by Step
Step 1 :
- वज्रासन में बैठने ( पैरों को घुटनों से मोड़कर दोनों एड़ियों पर ऐसे बैठना कि उनके तलवों पर नितम्ब हों तथा अँगूठे परस्पर जुड़े हों ) के बाद चित होकर पीछे की ओर भूमि पर लेट जायें । दोनों जंघाएँ परस्पर मिली रहें ।
Step 2 :
- श्वास छोड़ते हुए बायें हाथ का खुला पंजा दाहिने कंधे के नीचे और दाहिने हाथ का खुला पंजा बायें कंधे के नीचे इस प्रकार रखें कि सिर दोनों हाथों की आँटी (क्रॉस) के ऊपर आये ।
Note :
- ध्यान विशुद्धाख्य चक्र ( कंठस्थान ) में रखें ।
Supta Vajrasana Benefits in Hindi:
- इस आसन का सबसे विशेष लाभ यह होता है कि अकेला यह आसन अँगूठे से सिर पर्यंत रक्त का संचार करके सम्पूर्ण शरीर को मजबूत बना देता है ।
- शरीर की थकान दूर होती है । मेरुदंड व कमर लचीले होते हैं तथा सीना चौड़ा होता है ।
- मस्तिष्क-नियंत्रण में काफी मदद मिलती है ।
- शरीर के नाड़ी- जाल का केन्द्र नाभि-स्थान ठीक रहता है ।
- सुषुम्ना नाड़ी का मार्ग अत्यंत सरल होता है । कुंडलिनी शक्ति सरलता से ऊर्ध्वगमन करती है । इस आसन में ध्यान करने से मेरुदंड को सीधा रखने का श्रम नहीं करना पड़ता और उसे आराम मिलता है ।
- सभी अंतःस्रावी ग्रंथियों को पुष्टि मिलती है, जिससे शारीरिक व आध्यात्मिक विकास सहज हो जाता है ।
- जठराग्नि प्रदीप्त होकर कब्ज की समस्या में फायदा होता है । कमर, घुटनों आदि का दर्द, धातुक्षय, लकवा (Paralysis), टी.बी., पथरी, बहरापन, तोतलापन, आँखों व स्मरणशक्ति की दुर्बलता आदि में लाभ होता है ।
- श्वास-संबंधी बीमारियों में बहुत ही लाभ होता है ।
- टॉन्सिलाइटिस आदि गले के रोगों में भी लाभदायी है ।
- बचपन से ही इसका अभ्यास किया जाए तो दमे की बीमारी नहीं हो सकती ।
- पेट, कमर, नितम्ब का मोटापा कम होता है और शरीर आकर्षक बनता है ।
Supta Vajrasana Precautions
- रीढ़ के निचले भाग के रोगी तथा हड्डी की टी.बी. से पीड़ित व्यक्तियों को बिना किसी जानकार से पूछे इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए ।
- योगासन करते समय और भी किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए पढ़ें विस्तार से… Read More
Frequently asked questions
30 सेकंद से 1:30 मिनिट
संस्कृत : सुप्त वज्रासन
सुप्त का मतलब है सोया हुआ हुआ । और इसको वज्रासन में बैठकर करते है इसलिए सुप्त वज्रासन कहा जाता है ।
हाँ, पेट के साथ ही कमर का मोटापा भी दूर करता है ।
हड्डी की टी.बी. और रीढ़ के निचले भाग वाले रोगी
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जमीन पर चटाई या आसान के ऊपर करें तो और अच्छा है ।