परमात्मा में आस्था व विश्वास दृढ़ करने वाली यह कहानी बच्चों (Story for Kids) को सुनायें और दोहा याद करवायें।
ऋषि शमीक अपने शिष्यों के साथ कुरुक्षेत्र में महाभारत (Mahabharata) के संग्राम के बाद का दृश्य देखने को निकले।वहाँ लाशों के ढेर पड़े हुए थे। उन्हीं ढेरों के बीच एक जगह गजराज के घण्ट के नीचे किसी पक्षी के दो बच्चे बैठे थे।
उन्हें देखकर शिष्य बोल उठे : “गुरुवर! बड़े-बड़े योद्धा नष्ट हो गये, उनकी लाशों से बदबू आ रही है किन्तु ऐसे घोर संग्राम के बाद भी ये पक्षी के बच्चे जीवित हैं।
ऋषि शमीक ने ध्यान करके देखा, फिर कहा: ‘‘हाँ, पक्षी के अण्डे जमीन पर पड़े थे और गजराज का घंट ऊपर से आ गिरा। बचानेवाले अंतर्यामी परमेश्वर की इच्छा से ही ऐसा हुआ है। उन्हीं अण्डों से ये बच्चे निकले हैं। इन्हें आश्रम ले चलो और दाना-पानी दो।”
शिष्य : “गुरुवर जिन परमात्मा ने इनको ऐसे घोर युद्ध में भी बचाकर रखा है, वही आगे भी इनकी रक्षा करेगा तो क्यों इन्हें ले चलें?”
ऋषि शमीक : “भगवान का काम पूरा हुआ। भगवान ने ही हमें यहाँ भेजा है ताकि इनकी आगे की परवरिश हो सके।”
पक्षी के बच्चे वहाँ से उठा लिये गये एवं आश्रम में उनके दाना-पानी की समुचित व्यवस्था भी हो गयी।
सच ही है:
जाको राखे साँइयाँ, मार सके ना कोय।
बाल न बांका हो सके,चाहे जग वैरी हो।।
Jako Rakhe Saiyan, Maar Sake Na Koi.
Baal Na Banka Ho Sake, Chahe jag vairi Hoi.
-प्रश्नोत्तरी
१. भगवान ने ऋषि और शिष्यों को वहाँ युद्ध के मैदान में क्यों भेजा था?
२. घोर संग्राम में कौन जीवित था?
३. महाभारत युद्ध कहाँ हुआ था और यह घटना कहाँ हुई?
~ऋषि प्रसाद/जनवरी २००१