मैं कक्षा ५ वी से गुरुकुल में पढ़ रहा हूँ। गुरुकुल आने के पहले मैंने बापूजी से मंत्र दीक्षा तो ली थी परंतु मेरी उनमें बिल्कुल भी श्रद्धा नहीं थी और नाही मैं नियम करता था। माता-पिता की आज्ञा का उल्लंघन करना, बाजारू चीजें जैसे पिज्जा, बर्गर, फास्ट फूड आदि खाना, टी.वी., मोबाइल पर घंटों लगे रहना…यही मेरा जीवन था। लेकिन गुरुकुल में आने के पश्चात मुझमें चमत्कारिक रूप से परिवर्तन हुआ। पतन की ओर जा रही मेरी जीवनरूपी गाड़ी को सही दिशा मिली।
गुरुकुल में आने के बाद पूज्य बापूजी की महानता समझ में आयी और अब मेरी उनके प्रति श्रद्धा बहुत बढ़ गयी है… यहाँ गुरुकुल में हम पढ़ाई के साथ नियमित रूप से जप-ध्यान व त्रिकाल संध्या करते हैं। इससे मेरा आत्मबल भी खूब बढ़ा है, पढ़ाई में भी पहले की तुलना में अच्छे अंक आते हैं। माता-पिता की आज्ञा का पालन करने से वे भी मुझसे प्रसन्न रहते हैं । पहले मेरे जीवन में कोई लक्ष्य नहीं था लेकिन पूज्य बापूजी का सत्संग सुनकर अब मेरा ईश्वरप्राप्ति का लक्ष्य बन गया है।
– हिमांशु बामनिया ( ७वी ), इंदौर गुरुकुल