महाभारत में ब्रह्मचर्य संबंधित भीष्म पितामह (Bhishma Pitamah) का एक प्रसंग आता है :~
भीष्म पितामह बालब्रह्मचारी (Bal Brahmachari) थे, इसलिए उनमें अथाह सामर्थ्य था ।
भगवान श्रीकृष्ण (Shri krishna) का यह व्रत था कि ‘मैं युद्ध शस्त्र नहीं उठाऊँगा ।’ किंतु यह भीष्म पितामह की ब्रह्मचर्यशक्ति का ही चमत्कार था कि उन्होंने श्रीकृष्ण को अपना व्रत भंग करने के लिए मजबूर कर दिया ।
उन्होंने अर्जुन पर ऐसी बाणवर्षा की कि दिव्यास्त्रों से सुसज्जित अर्जुन जैसा धुरंधर धनुर्धारी भी उसका प्रतिकार करने में असमर्थ हो गया, जिससे उसके रक्षार्थ भगवान श्रीकृष्ण को रथ का पहिया लेकर भीष्म की ओर दौड़ना पड़ा। यह ब्रह्मचर्य (Akhanda Brahmacharya) का ही प्रताप था कि भीष्म मौत पर भी विजय प्राप्त कर सके । उन्होंने ही यह स्वयं तय किया कि उन्हें कब शरीर छोड़ना है । अन्यथा शरीर में प्राणों का टिके रहना असम्भव था परंतु भीष्म की बिना आज्ञा के मौत भी उनसे प्राण कैसे छीन सकती थी ! भीष्म पितामह ने स्वेच्छा से शुभ मुहूर्त में अपना शरीर छोड़ा ।