Allopathic Medicine, Drugs Side Effects in Hindi: सावधान ! आप जो जहरीली अंग्रेजी दवाइयाँ खा रहे हैं उनके परिणाम का भी जरा विचार कर लें ।
‘वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन’ ने भारत सरकार को 72,000 के लगभग दवाइयों के नाम लिखकर उन पर प्रतिबन्ध लगाने का अनुरोध किया है । क्यों ? क्योंकि ये जहरीली दवाइयों के व्यक्तियों के पेट में जाने से लम्बे अन्तराल पर यकृत (लीवर), गुर्दे और आँतों को नुकसान करके अंत में घातक बनती हैं ।
कुछ वर्ष पहले न्यायाधीश हाथी साहब की राहबरी के नीचे एक कमीशन बनाया गया था यह जाँच करने के लिए कि इस देश में कितनी दवाइयाँ जरूरी हैं और कितनी बिनजरूरी है जिन्हें कि विदेशी कम्पनियाँ केवल मुनाफा कमाने के लिए ही बेच रही हैं ।
फिर उन्होंने सरकार को जो रिपोर्ट दी, उसमें केवल ११७ दवाइयाँ ही जरूरी थी और ८४०० दवाइयों बिल्कुल बिनजरूरी थी । उन्हें विदेशी कम्पनियाँ भारत में मुनाफा कमाने के लिए ही बेच रही थीं और अपने ही देश के कुछ डॉक्टर लोभवश इस षडयंत्र में सहयोग कर रहे थे ।
जो दवाइयाँ अमेरिका व यूरोप आदि देशों में जहर घोषित करके प्रतिबंधित की गई है वे ही दवाइयाँ भारत में बिना किसी रोक-टोक के बेची जा रही है ।
‘पैरासिटामोल’ नामक दवाई जो कि बुखार को तुरन्त दूर करने के लिए या कम करने के लिए सब लोग प्रयोग कर रहे हैं वही दवाई जापान में ‘पोलियो’ का कारण घोषित करके प्रतिबंधित कर दी गई है । उसके बावजूद भी प्रजा का प्रतिनिधित्व करनेवाली सरकार प्रजा का हित न देखते हुए शायद केवल अपना ही हित देख रही है ।
सरकार कुछ करे या न करे लेकिन आपको अगर पूर्ण रूप से स्वस्थ रहना है तो आप इन जहरीली दवाइयों का प्रयोग बन्द करें और करवाएं । भारतीय संस्कृति में जो हमें आयुर्वेद के द्वारा निर्दोष औषधियाँ भेंट की है उन्हें आप अपनाएँ ।
साथ ही आपको यह भी ज्ञान होना चाहिए कि शक्ति की दवाइयों के रूप में आपको मांस, प्राणियों का रक्त, मच्छी आदि खिलाये जा रहे हैं जिसके कारण आपका मन मलिन होता है और संकल्पशक्ति कम होने के कारण साधना में बरकत नहीं होती है । इससे आपका जीवन खोखला हो जाता है ।
एक संशोधनकर्त्ता ने बताया कि ‘ब्रेफेन’ नामक दवा जो आप लोग दर्द को शांत करने के लिए खा रहे हैं उसकी केवल 1 मिलिग्राम मात्रा पर्याप्त है, फिर भी आपको 250 मिलिग्राम या इससे डबल मात्रा दी जाती है । यह अमेरिकन मात्रा आपके यकृत और गुर्दे को बहुत हानि पहुँचाती है । ‘साइड इफेक्ट’ का शिकार होते हैं वह अलग ।
– ऋषि प्रसाद, मई 1998