Ek Real Story China Peak Nainital ki in Hindi
- एक बार नैनीताल में गुरुदेव (स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज) के पास कुछ लोग आये । वे ‘चाइना पीक’ (हिमालय पर्वत का एक प्रसिद्ध शिखर देखना चाहते थे । गुरुदेव ने मुझसे (पूज्य बापूजी को) कहाः “ये लोग चाइना पीक देखना चाहते हैं । सुबह तुम जरा इनके साथ जाकर दिखा के आना ।
- “मैंने कभी चाइना पीक देखा नहीं था, परंतु गुरुजी ने कहाः “दिखा के आओ ।” तो बात पूरी हो गयी ।
- सुबह अँधेरे-अँधेरे में मैं उन लोगों को ले गया । हम जरा दो-तीन किलोमीटर पहाड़ियों पर चले और देखा कि वहाँ मौसम खराब है ।
- जो लोग पहले देखने गये थे वे भी लौटकर आ रहे थे । जिनको मैं दिखाने ले गया था वे बोले : “मौसम खराब है, अब आगे नहीं जाना है ।”
- मैंने कहा : “भक्तो ! कैसे नहीं जाना है, बापूजी ने मुझे आज्ञा दी है कि ‘भक्तों को चाइना पीक दिखाके आओ’ तो मैं आपको उसे देखे बिना कैसे जाने दूँ ?”
- वे बोले : “हमको नहीं देखना है। मौसम खराब है, ओले पड़ने की संभावना है ।”
- मैंने कहा : “सब ठीक हो जायेगा ।” लेकिन थोड़ा चलने के बाद वे फिर हतोत्साहित हो गये और वापस जाने की बात करने लगे । ‘यदि कुहरा पड़ जाय या ओले पड़ जायें तो….’ ऐसा कहकर आनाकानी करने लगे। ऐसा अनेकों बार हुआ। मैं उनको समझाते-बुझाते आखिर गन्तव्य स्थान पर ले गया । हम वहाँ पहुँचे तो मौसम साफ हो गया और उन्होंने चाइनाप देखा । वे बड़ी खुशी से लौट और आकर गुरुजी को प्रणाम किया ।
- गुरुजी बोलेः “चाइना पीक देख लिया ?”
- वे बोले : “साँई ! हम देखने वाले नहीं थे, मौसम खराब हो गया था परंतु आसाराम हमें उत्साहित करते-करते ले गये और वहाँ पहुँचे तो मौसम साफ हो गया ।”
- उन्होंने सारी बातें विस्तार से कह सुनायीं । गुरुजी बोलेः “जो गुरु की आज्ञा दृढ़ता से मानता है, प्रकृति उसके अनुकूल जो जाती है ।” मुझे कितना बड़ा आशीर्वाद मिल गया ! उन्होंने तो चाइना पीक देखा लेकिन मुझे जो मिला वह मैं ही जानता हूँ । आज्ञा सम नहीं साहिब सेवा । मैंने गुरुजी की बात काटी नहीं, टाली नहीं, बहाना नहीं बनाया, हालाँकि वे तो मना ही कर रहे थे । बड़ी कठिन चढ़ाईवाला व घुमावदार रास्ता है चाइना पीक का और कब बारिश आ जाये, कब आदमी को ठंडी हवाओं का, आँधी-तूफानों का मुकाबला करना पड़े, कोई पता नहीं । किंतु कई बार मौत का मुकाबला करते आये हैं तो यह क्या होता है ? कई बार तो मरके भी आये, फिर इस बार गुरु की आज्ञा का पालन करते-करते मर भी जायेंगे तो अमर हो जायेंगे, घाटा क्या पड़ता है ?
- – महकते फूल