Health Benefits of Palash Flowers, Uses of Palash in Hindi
- वसंत ऋतु का आगमन होते ही पलाश का वृक्ष अपने मनमोहक फूलों से दूर से ही नेत्रों को आकर्षित करने लगता है । कहा जाता है कि देव-दानव युद्ध में जब देवताओं ने दैत्यों पर आग्नेयास्त्र का प्रहार किया था, तब जो चिंगारियाँ धरती पर बिखर गयीं, वे पलाश के वृक्ष बनकर पृथ्वी को शोभायमान कर रही हैं । शास्त्रों ने पलाश के वृक्ष को ब्रह्मवृक्ष के नाम से सम्मानित किया है । इसके पत्ते, फूल, बीज, छाल, मूल – ये सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं ।
- भारत में प्राचीन काल से होली खेलने हेतु पलाश के फूलों अर्थात् टेसुओं से बने रंग का प्रयोग होता आया है । इसके पीछे वैज्ञानिक रहस्य छुपा हुआ है । टेसुओं का रंग शरीर की अत्याधिक गर्मी को शांत करता है । त्वचा को स्वच्छ व रक्त को शुद्ध करके अनेक संक्रामक रोगों से हमारी रक्षा करता है ।
- पलाश के पत्तों की भी महिमा है । इससे बनी पत्तलों एवं दोनों में भोजन करने से चाँदी के पात्र में भोजन करने के समान लाभ होता है । पलाश के बीज उत्कृष्ट कृमिनाशक हैं । इसकी जड़ का रस नेत्ररोगों में लाभदायी है ।
- सौंदर्यवर्धन के लिए एक सरल प्रयोग: टेसुओं को पानी में उबालकर उस पानी से चेहरा रगड़कर धोने से चेहरे के दाग, कील-मुँहासे मिट जाते हैं । इस पानी से स्नान करने से त्वचा की कांति व सौंदर्य बढ़ता है । शरीर में ताजगी व उत्साह आता है ।
Palash Benefits & Uses in Hindi
- जिसकी समिधा यज्ञ में प्रयुक्त होती है, ऐसे हिन्दू धर्म में पवित्र माने गये पलाश वृक्ष को आयुर्वेद ने ‘ब्रह्मवृक्ष’ नाम से गौरवान्विति किया है ।
- पलाश के पाँचों अंग (पत्ते, फूल, फल, छाल,व मूल) औषधीय गुणों से सम्पन्न हैं । यह रसायन (वार्धक्य एवं रोगों को दूर रखने वाला), नेत्रज्योति बढ़ाने वाला व बुद्धिवर्धक भी है ।
- इसके पत्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी के पात्र में किये गये भोजन के समान लाभ प्राप्त होते हैं ।
- इसके पुष्प मधुर व शीतल हैं । उनके उपयोग से पित्तजन्य रोग शांत हो जाते हैं ।
- पलाश के बीज उत्तम कृमिनाशक व कुष्ठ (त्वचारोग) दूर करने वाले हैं । इसका गोंद हड्डियों को मजबूत बनाता है ।
- इसकी जड़ अनेक नेत्ररोगों में लाभदायी है ।
- पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिलाकर धूप करने से बुद्धि शुद्ध होती है व बढ़ती भी है ।
- वसंत ऋतु में पलाश लाल फूलों से लद जाता है । इन फूलों को पानी में उबालकर केसरी रंग बनायें । यह रंग पानी में मिलाकर स्नान करने से आने वाली ग्रीष्म ऋतु की तपन से रक्षा होती है, कई प्रकार के चर्मरोग भी दूर होते हैं ।
Health Benefits & Uses of Palash Flower/ Phool
- महिलाओं के मासिक धर्म में अथवा पेशाब में रूकावट हो तो फूलों को उबालकर पुल्टिस बना के पेड़ू पर बाँधें । अण्डकोषों की सूजन भी इस पुल्टिस से ठीक होती है ।
- मेह (मूत्र-संबंधी विकारों) में पलाश के फूलों का काढ़ा (50 मि.ली.) मिलाकर पिलायें ।
- रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है ।
- आँख आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजें ।
वीर्यवान बालक की प्राप्ति के लिए
- दूध के साथ प्रतिदिन एक पलाश पुष्प पीसकर दूध में मिला के गर्भवती माता को पिलायें, इससे बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।
Palash Ke Beej Ke Fayde
- पलाश के बीजों में पैलासोनिन नामक तत्व पाया जाता है, जो उत्तम कृमिनाशक है । 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें । चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरण्डी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलायें, इससे कृमि निकल जायेंगे ।
- बीज-चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर दाद पर लगाने से वह मिट जाती है ।
- पलाश के बीज आक (मदार) के दूध में पीसकर बिच्छू दंश की जगह पर लगाने से दर्द मिट जाता है ।
छाल व पत्तों द्वारा उपचार :
- बालकों की आँत्रवृद्धि (Hernia) में छाल का काढ़ा (25 मि.ली.) बनाकर पिलायें ।
- नाक, मल-मूत्रमार्ग अथवा योनि द्वारा रक्तस्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।
- बवासीर में पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।
Palash Gond Uses & Benefits
- पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है ।
- यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।
Palash Flower Medicinal Uses
- नेत्ररोग : पलाश की जड़ का 4-4 बूँद रस आँखों में डालने से आँखों की जलन, स्राव, मोतियाबिंद, फूली आदि में लाभ होता है ।
मूत्र की रुकावट तथा कष्टप्रद मासिक धर्म :
- लगभग 100 ग्राम टेसुओं को 200 मि.ली. पानी में धीमी आँच पर उबालें । आधा पानी शेष रहने पर छान लें उसमें एक ग्राम यवक्षार (जवाखार) मिलाकर पीड़ित व्यक्ति को पिलायें तथा गर्म-गर्म फूल पेडू पर बाँध दें । इससे पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है । ताजे फूलों की जगह फूलों के चूर्ण का भी उपयोग किया जा सकता है । गर्म-गर्म फूल पेडू पर बाँधने से मासिक धर्म के समय होने वाली पीड़ा व रुकावट दूर हो जाती है ।
- – ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2005