गौमाता के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का दिवस : गोपाष्टमी
20 नवम्बर 2023
गौमाता के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का दिवस : गोपाष्टमी
20 नवम्बर 2023
गोपाष्टमी भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है । मानव-जाति की समृद्धि गौ-वंश की समृद्धि के साथ जुड़ी हुई है । अत: गोपाष्टमी के पावन पर्व पर गौ-माता का पूजन-परिक्रमा कर विश्वमांगल्य की प्रार्थना करनी चाहिए ।
इस दिन प्रातःकाल गायों को स्नान कराकर गंध-पुष्पादि से उनका पूजन किया जाता है । गायों को गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा करें तथा थोड़ी दूर तक उनके साथ जाने से सब प्रकार के अभीष्ट की सिद्धि होती है । गोपाष्टमी के दिन सायंकाल गायें चरकर जब वापस आयें तो उस समय भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें कुछ खिलायें और उनकी चरणरज को मस्तक पर धारण करें, इससे सौभाग्य की वृद्धि होती है ।
भारतवर्ष में गोपाष्टमी का उत्सव बड़े उल्लास से मनाया जाता है । विशेषकर गौशालाओं तथा पिंजरापोलों के लिए यह बड़े महत्व का उत्सव है । इस दिन गौशालाओं में एक मेला जैसा लग जाता है । गौ कीर्तन-यात्राएँ निकाली जाती हैं । यह घर-घर व गाँव-गाँव में मनाया जाने वाला उत्सव है । इस दिन गाँव-गाँव में भंडारे किये जाते हैं ।
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से सप्तमी तक गायों तथा गोप-गोपियों की रक्षा के लिए भगवान ने गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। 8वें दिन इन्द्र अहंकार रहित होकर भगवान की शरण में आये । कामधेनु ने श्रीकृष्ण का अभिषेक किया और उस दिन भगवान का नाम ‘गोविंद’ पड़ा । इसी समय से कार्तिक शुक्ल अष्टमी को ‘गोपाष्टमी’ का पर्व मनाया जाने लगा ।
कार्तिक शुक्ल अष्टमी को ‘गोपाष्टमी’ कहते हैं । यह गौ-पूजन का विशेष पर्व है । इस दिन प्रातःकाल गायों को स्नान कराकर गंध-पुष्पादि से उनका पूजन किया जाता है । गायों को गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा करने से एवं उनकी चरणरज को मस्तक पर धारण करने तथा थोड़ी दूर तक उनके साथ जाने से सब प्रकार के है अभीष्ट की सिद्धि होती है और सौभाग्य की वृद्धि होती है ।
इस पर्व पर गौरक्षा का संकल्प लेना चाहिए । गौहत्या का कड़ा विरोध करना चाहिए । किसान गाय, बछड़ा, बैल आदि को बेचें नहीं । दूध न देने वाली गाय अथवा बूढा बैल जितना घास ( चारा ) खाते हैं, उतना गोबर और गोमूत्र के द्वारा अपना खर्चा निकाल देते हैं । हर व्यक्ति को केवल गाय के ही दूध-घी का उपयोग कर गौसेवा में कम-से-कम इतना योगदान तो अवश्य देना चाहिए ।
20 नवम्बर 2023, सोमवार
अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
अष्टमी तिथि के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
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