-पूज्य बापूजी

गाय की रक्षा करने वाले हम कौन होते हैं ? अरे ! गाय तुम्हारी-हमारी और पर्यावरण की रक्षा करती है ।

चौरासी लाख प्राणी हैं किंतु देशी गाय के अलावा किसी का मल और मूत्र पवित्र नहीं माना जाता । चाहें कोई महाराजा हो, ब्राह्मण हो या तपस्वी हो फिर भी उसका मल-मूत्र लीपने के काम नहीं आता ।

जब कोई व्यक्ति मरने की स्थिति में होता है तब भूमि को देशी गाय के गोबर व मूत्र से लीपन कर उस पर उस व्यक्ति को लिटाते हैं ताकि उसकी सद्गति हो । देशी गाय के दूध, दही, घी, मूत्र में सुवर्णक्षार होते हैं ।

अगर किसी महिला को प्रसूति नहीं हो रही हो तो देशी गाय के गोबर का १० ग्राम ताजा रस पिलाने से सरलता से प्रसूति हो जाती है । किसी को कैंसर की बीमारी है तो प्रतिदिन गौ का मूत्र सेवन कराओ, ठीक हो जायेगा ।

राजतिलक के समय राजा को पंचगव्य (देशी गाय का दूध, दही, घी, मूत्र व गोबर-रस) पिलाने व उससे राजतिलक करने से राजा राज्य अच्छा चलायेगा ।

किसी भी खेत में थोड़े दिन देशी गाय को रखो फिर देखो वह खेत कितना फसल-उत्पादन देता है ।

गाय को सानी (पानी में भिगोयी हुई खली व भूसा), चारा आदि रखो या न रखो, केवल उसके सामने उसका बछड़ा लाने पर वह दूध देने लगेगी जबकि भैंस तो ऐसी स्वार्थी होती है कि सानी देखकर ही दूध देती है । यदि आप चाहते हो कि आपके बच्चे आगे चलकर अति स्वार्थी, अहंकारी बन के आपस में झगड़ें नहीं, भाई-भाई आपस में स्वार्थ,सम्पदा के कारण न लड़ें तो बच्चों को देशी गाय का दूध पिलायें ।

भैंस के  पाड़े आपस में लड़ते हैँ तो ऐसे लड़ते हैं कि छोड़ते ही नहीं, चाहें कितने ही डंडे मारो । डंडे टूट जायें तो भी वे लड़ना नहीं छोड़ते, भिड़े रहते हैं दो-दो दिन तक । बच्चे भैंस का दूध पीते हैं तो आगे चलकर ये सम्पत्ति, जमीन-जायदाद के लिए मुकदमेबाजी करते हैं व हथियार उठाते हैं लेकिन यदि गाय का दूध पीते हैं तो जैसे भगवान राम कहते हैं : ‘भरत राज्य करे ।’ और भरत जी कहते हैं : ‘नहीं, रामजी राज्य करें।’ – इस प्रकार भाई, भाई के चरणों में राज्य अर्पित कर देते हैं ।

औरंगजेब भैंस का दूध पीकर ऐसा हो गया था कि अपने बाप को ही जेल में डाला व राज्य करने लगा । गौ-सेवा करने वाले के दिल में खुशी होती है ।

गाय पालने वाले के घर में जितनी तंदुरुस्ती होगी उतनी गाय का मांस खाने वाले के घर में नहीं होगी, बिल्कुल पक्की बात है ! जो भी गौ- पालक हैं, उनको मैं धन्यवाद देता हूँ, प्रणाम करता है । 

दुर्भाग्यवश आज के लोग गाय का दर्शन, गाय के दूध व गौ-किरणों का प्रभाव भूल गये हैं । इसी कारण घर-घर में लोग बीमार पड़े हैं, शल्यक्रिया (ऑपरेशन) करा रहे हैं ।

आज कहीं अकाल पड़ रहा है, कहीं अतिवृष्टि हो रही है और कहीं मुकदमे हो रहे हैं । धन-धान्य भी इतना ठीक नहीं होता, मानो पृथ्वी ने रस खींच लिया है और फूलों ने खिलना भी कम कर दिया है ।

यह कहना बिल्कुल गलत है कि हम गाय की रक्षा करते हैं । हम गाय की नहीं बल्कि गाय हमारी रक्षा करती है । गौ-रक्षा हमारी आधारभूत आवश्यकता है । हम अपनी रक्षा के लिए गौ-रक्षा करते हैं, गौ तो कभी नहीं बोलती कि “मेरी रक्षा करो।” बुद्धिमान समझते हैं कि गाय की रक्षा में स्वास्थ्य, मानवता, संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा है ।

– ऋषि प्रसाद / नवम्बर 2017